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चुनाव आयोग तय समय में टीएमसी की शिकायतों को सुनने में पूरी तरह विफल रही है। यह अदालत आश्चर्यचकित है कि चुनाव खत्म होने के बाद शिकायतों का समाधान तय समय में करने में भारत का चुनाव आयोग विफल हुआ है। यह अदालत निषेधाज्ञा आदेश (स्टे) पारित करने के लिए बाध्य है।
-जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य, कलकत्ता हाईकोर्ट, 20 मई 2024 सोर्सः बार एंड बेंच
कोर्ट ने कहा कि 'साइलेंस पीरियड' (चुनाव से एक दिन पहले और मतदान के दिन) के दौरान बीजेपी के विज्ञापन आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) और टीएमसी के अधिकारों और नागरिकों के निष्पक्ष चुनाव के अधिकार का भी उल्लंघन थे। अदालत ने आदेश जारी करते हुए कहा-
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टीएमसी के खिलाफ लगाए गए आरोप और प्रकाशन पूरी तरह से अपमानजनक हैं और निश्चित रूप से इसका उद्देश्य प्रतिद्वंद्वियों का अपमान करना और व्यक्तिगत हमले करना है। इसलिए, उक्त विज्ञापन सीधे तौर पर एमसीसी के विरोधाभासी होने के साथ-साथ याचिकाकर्ता और भारत के सभी नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन है। स्वतंत्र, निष्पक्ष और बेदाग चुनाव प्रक्रिया के लिए, भाजपा को अगले आदेश तक ऐसे विज्ञापन प्रकाशित करने से रोका जाना चाहिए।
-जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य, कलकत्ता हाईकोर्ट, 20 मई 2024 सोर्सः बार एंड बेंच
चुनाव आयोग कानों में तेल डाले बैठा रहा। जिस तरह उसने पीएम मोदी के साम्प्रदायिक भाषणों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। उसी तरह इस मामले में भी किया गया। चुनाव आयोग ने जब देखा कि मामला अदालत में चला गया है और कोर्ट एक्शन के लिए कह सकता है तो आयोग शनिवार 18 मई को सक्रिय हुआ। आयोग ने शनिवार को पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार को उनकी पार्टी द्वारा कथित तौर पर टीएमसी को निशाना बनाने वाले विज्ञापनों पर दो अलग-अलग कारण बताओ नोटिस जारी किए। आयोग ने बीजेपी नेता को मंगलवार शाम 5 बजे तक अपना जवाब देने को कहा है।
चुनाव आयोग ने प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को दिए नोटिस में कहा है कि विज्ञापनों को मौजूदा लोकसभा चुनावों के लिए लागू आदर्श आचार संहिता (एमसीसी) और राजनीतिक दलों को दी गई सलाह का उल्लंघन क्यों नहीं माना जाना चाहिए। नोटिस में दी गई अंग्रेजी प्रतिलिपि के अनुसार, एक विज्ञापन का शीर्षक "तृणमूल भ्रष्टाचार का मूल कारण है" जबकि दूसरे का शीर्षक "सनातन विरोधी तृणमूल" है।
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