पश्चिम बंगाल बीजेपी में संगठन में की गई नियुक्तियों को लेकर कई वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी बरकरार है। वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि पार्टी के समर्पित और पुराने कार्यकर्ताओं को किनारे लगाया जा रहा है और हाल ही में पार्टी में शामिल हुए लोगों को प्रमोट किया जा रहा है।
पार्टी में चल रहे घमासान को देखते हुए राज्य बीजेपी के अध्यक्ष सुकांता मजूमदार ने पार्टी के सभी विभागों को भंग कर दिया है। मजूमदार को बीते साल सितंबर में पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी और इसके बाद उन्होंने राज्य बीजेपी में कुछ अहम पदों पर नियुक्तियां भी की थी।
लेकिन उसके बाद से ही नाराजगी की खबरें सामने आई और कहा गया कि वरिष्ठ नेताओं को संगठन में जगह नहीं दी गई है। खबरों के मुताबिक, मजूमदार को लेकर नाराजगी कम है जबकि राज्य में बीजेपी के संगठन महासचिव और संघ से आए अमिताभ चक्रवर्ती को लेकर नाराजगी ज्यादा है।
इकनॉमिक टाइम्स के मुताबिक असंतुष्ट नेताओं ने आगे का फैसला लेने के लिए शनिवार रात को एक बैठक कोलकाता में रखी है। इस बैठक में मतुआ समुदाय के नेता और केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर सहित इस समुदाय से आने वाले कई नेता शामिल होंगे।
राज्य बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने इकनॉमिक टाइम्स से कहा कि जिन लोगों ने राज्य में पार्टी के लिए मेहनत की है उन्हें नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने कहा कि वे नहीं चाहते कि पार्टी टूटे लेकिन इतना जरूर चाहते हैं कि पार्टी आगे कोई और गलती ना करे।
बता दें कि केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर ने कुछ दिन पहले बंगाल बीजेपी के सभी वॉट्सऐप ग्रुप छोड़ दिए थे। उनके बारे में यह कहा जा रहा है कि वह पार्टी भी छोड़ सकते हैं।
बंगाल बीजेपी में मतुआ समुदाय से आने वाले नेताओं की नाराजगी निश्चित रूप से पार्टी के लिए चिंता की वजह बन गई है। शांतनु ठाकुर के अलावा भी कई विधायक पार्टी के आधिकारिक वॉट्सऐप ग्रुप से बाहर निकल चुके हैं।
बीते साल बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त मिलने के बाद से ही कई विधायकों और बड़े नेताओं ने बीजेपी छोड़ी है। इसमें केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो से लेकर मुकुल रॉय, राजीव बनर्जी सहित तमाम बड़े नेता शामिल हैं।
देखना होगा कि बीजेपी का केंद्रीय नेतृत्व और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पार्टी के अंदर मतुआ समुदाय के नाराज नेताओं को मनाने में कामयाब होता है या नहीं।
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