कोलकाता दुष्कर्म-हत्या मामले में सीबीआई ने नयी एफ़आईआर दर्ज की है। कलकत्ता हाईकोर्ट द्वारा मंगलवार को यह केस सीबीआई को सौंपे जाने के बाद सीबीआई ने जाँच शुरू कर दी। अदालत ने प्रशिक्षु महिला डॉक्टर की हत्या से जुड़े सभी दस्तावेज सीबीआई को बुधवार सुबह 10 बजे तक सौंपने का भी निर्देश दिया है और आंदोलनकारी डॉक्टरों से काम बंद करने का आग्रह किया है।
अदालत ने सेमिनार हॉल में शुक्रवार की सुबह डॉक्टर के मृत पाए जाने के बाद अस्पताल प्रशासन की प्रतिक्रिया में गंभीर चूक को नोट किया। महिला के कपड़े अस्त-व्यस्त थे और उसके शरीर पर चोट के निशान थे। अदालत ने कहा कि पीड़िता के माता-पिता चाहते हैं कि एक स्वतंत्र निकाय द्वारा जांच की जाए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि सबूतों के साथ छेड़छाड़ न की जाए।
हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि सामान्य परिस्थितियों में राज्य पुलिस को और समय दिया जाता। अदालत ने कहा, 'पांच दिन बीत जाने के बाद भी कोई महत्वपूर्ण निष्कर्ष नहीं निकला है, जो अब तक निकल जाना चाहिए था। इसलिए, हमारा मानना है कि इस बात की पूरी संभावना है कि सबूत नष्ट हो जाएंगे। हम यह उचित समझते हैं कि मामले को तत्काल प्रभाव से सीबीआई को सौंप दिया जाना चाहिए।'
पिछले गुरुवार रात आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में बलात्कार और हत्या की शिकार हुई डॉक्टर के परिवार से मिलने के बाद पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को मामले को जल्द सुलझाने का आह्वान किया था। उन्होंने कहा कि वह अपराधियों के लिए मौत की सजा की मांग करेंगी।
32 वर्षीय महिला प्रशिक्षु डॉक्टर का शव आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के सेमिनार हॉल में पाया गया था। उनके शरीर पर चोट के निशान थे। बाद में पोस्टमार्टम से पुष्टि हुई कि हत्या से पहले उनके साथ बलात्कार किया गया था।
प्रारंभिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट में कहा गया है कि पीड़िता की आंखों, मुंह और निजी अंगों से खून बह रहा था। उनके बाएं पैर, गर्दन, दाहिने हाथ, और होठों पर भी चोटें थीं।
अदालत ने कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल डॉ. संदीप घोष को कड़ी फटकार लगाते हुए कहा कि यह निराशाजनक है कि वह सक्रिय नहीं थे। अदालत ने यह भी कहा कि पूर्व प्रिंसिपल को उनके इस्तीफा देने के कुछ घंटों बाद ही दूसरे कॉलेज में वही भूमिका दी गई और कहा कि उन्हें तुरंत ड्यूटी से मुक्त कर दिया जाना चाहिए और छुट्टी पर भेज दिया जाना चाहिए।
डॉ. घोष ने कल यह कहते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया कि डॉक्टर के बलात्कार-हत्या के बाद सोशल मीडिया पर हो रही बेइज्जती को वे बर्दाश्त नहीं कर सकते। कुछ ही घंटों बाद उन्हें कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के रूप में नई भूमिका दी गई।
डॉ. घोष को उनके इस्तीफे के तुरंत बाद नई भूमिका देने के लिए राज्य सरकार की खिंचाई करते हुए अदालत ने कहा, 'उचित प्राधिकारी को उन परिस्थितियों को ध्यान में रखना चाहिए था, जिनके तहत इस्तीफा दिया गया था। इसलिए, भले ही वह इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया हो, लेकिन विभाग से कम से कम यही उम्मीद की जा सकती है कि वह प्रिंसिपल को प्रशासनिक जिम्मेदारी से मुक्त कर दे और उन्हें समान जिम्मेदारी वाला कोई अन्य काम न सौंपे। इस प्रोफेसर को दूसरे मेडिकल कॉलेज का प्रिंसिपल बना दिया गया है। यह साफ़ नहीं है कि ऐसा करने की क्या जल्दी थी।'
बता दें कि इस घटना के विरोध में कोलकाता में डॉक्टरों ने आपातकालीन सेवाएं बंद कर दी हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं ठप हो गई हैं। वे जूनियर डॉक्टर के लिए न्याय की मांग कर रहे हैं। सोमवार शाम को डॉक्टर के बलात्कार और हत्या को लेकर डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन तेज हो गया, जब आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के प्रिंसिपल को दिन में उनके इस्तीफे के बाद शहर के किसी अन्य संस्थान में प्रतिनियुक्त कर दिया गया।
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