अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पश्चिम बंगाल बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस की सियासी लड़ाई का मैदान बन चुका है। बीजेपी किसी भी क़ीमत पर बंगाल में अपना झंडा लहराना चाहती है लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी सत्ता बचाने के लिए पूरा जोर लगाया हुआ है।
कहना ग़लत नहीं होगा कि बीते कुछ सालों में बंगाल में हत्या की राजनीति हो रही है। बीजेपी और तृणमूल के कार्यकर्ताओं के बीच कई बार खूनी झड़पें हो चुकी हैं, जिसमें दोनों ओर के कार्यकर्ताओं को अपनी जान गंवानी पड़ी है। पंचायत से लेकर लोकसभा चुनाव तक दोनों दलों के कार्यकर्ता बुरी तरह भिड़ते रहे हैं।
बीते एक महीने के दौरान राज्य में चार बीजेपी नेताओं की मौत हुई है। इनमें से तीन नेताओं के शव रहस्यमय परिस्थितियों में बरामद किए गए हैं। बीजेपी इन नेताओं की मौत को हत्या बता रही है और तृणमूल कांग्रेस को इसका ज़िम्मेदार ठहराती है जबकि तृणमूल इसे बीजेपी की अंतरकलह का नतीजा क़रार देती है।
इन नेताओं में से एक कोलकाता से सटे उत्तर 24 परगना ज़िले के बैरकपुर के स्थानीय पार्षद मनीष शुक्ल की हत्या के बाद बीजेपी फिर सड़क पर है और गुरूवार को उसने ‘नबन्ना चलो’ यानी सचिवालय कूच का आह्वान किया था। इसमें बड़ी संख्या में भारतीय जनता युवा मोर्चा के कार्यकर्ता भी शामिल थे।
प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने एक सिख को हिरासत में लेने की कोशिश की। लेकिन इस दौरान उसकी पगड़ी खुल गई। यह शख़्स बलविंदर सिंह है, जिसकी उम्र 43 साल है और वह पंजाब के बठिंडा का रहने वाला है। पुलिस के मुताबिक़, बलविंदर सिंह के पास पिस्टल थी, जिसे जब्त करने के दौरान छीना-झपटी हुई और इस दौरान उसकी पगड़ी अचानक खुल कर जमीन पर गिर गई। इसका वीडियो वायरल हो गया।
मामले में बवाल बढ़ने के बाद इस घटना को लेकर पश्चिम बंगाल पुलिस ने कहा है कि उसका किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को आहत करने का कोई इरादा नहीं था। पुलिस ने रात को एक फ़ोटो ट्वीट कर कहा कि बलविंदर को गिरफ़्तार करने से पहले उनकी पगड़ी सम्मान सहित उन्हें पहना दी गई थी।
West Bengal Police respects all religions. The officer specifically asked him to put his Pagri back before the arrest. The attached photo has been clicked right before he was escorted to the Police Station. We remain committed to our duty to uphold law and order in the state(2/2) pic.twitter.com/BnTWztfDGW
— West Bengal Police (@WBPolice) October 9, 2020
बलविंदर के पास से 9 एमएम की पिस्टल मिली है और वह राष्ट्रीय राइफ़ल्स के पूर्व जवान हैं। पश्चिम बंगाल बीजेपी के अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा है कि बलविंदर सिंह किसी बीजेपी नेता की सुरक्षा में तैनात थे।
हरभजन सिंह ने किया ट्वीट
इस घटना को बीजेपी ने मुद्दा बना लिया और सिख समुदाय के कई बड़े चेहरों ने भी इसे लेकर पश्चिम बंगाल पुलिस और ममता सरकार पर निशाना साधा। जाने-माने क्रिकेटर हरभजन सिंह ने ट्वीट कर ममता बनर्जी से इस मामले में ध्यान देने के लिए कहा। शिरोमणि अकाली दल ने भी जिम्मेदार पुलिसकर्मी के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की।
‘पुलिस ने अपना काम किया’
बीजेपी के तमाम आरोपों के जवाब में तृणमूल कांग्रेस के नेता फिरहाद हाकिम ने कहा कि उन्होंने राजनीतिक रैलियों में बम और बंदूक का इस्तेमाल होते कभी नहीं देखा। हाकिम ने कहा कि अगर आप रैली में पिस्टल लेकर आते हो तो आप क्या उम्मीद करते हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस को अपना काम करना ही होता है।
तृणमूल नेताओं का कहना है कि कोरोना के संक्रमण काल में बीजेपी के नेताओं को इतना बड़ा प्रदर्शन करने की क्या ज़रूरत थी।
पश्चिम बंगाल पुलिस ने भी कड़ा एक्शन लेते हुए बीजेपी के तमाम बड़े नेताओं के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की है। इसमें राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय, सांसद लॉकेट चटर्जी, अर्जुन सिंह और राकेश सिंह का नाम शामिल है। विजयवर्गीय ने कहा कि उनकी पार्टी ममता सरकार को सत्ता से उखाड़कर ही दम लेगी।
अपनी राय बतायें