पश्चिम बंगाल पुलिस और सीबीआई में फिर तनातनी शुरू हो गई है। पिछले दिनों जब सीबीआई ने बंगाल के अधिकारियों और टीएमसी नेताओं के खिलाफ अलग-अलग मामले दर्ज किए थे तो उस समय भी तनातनी बढ़ गई थी। ताजा मामला थोड़ा गंभीर है।
बीरभूम हिंसा मामले में गिरफ्तार मुख्य आरोपी ललन शेख की कथित तौर पर सीबीआई हिरासत में आत्महत्या के बाद बंगाल पुलिस ने केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई के अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है।
बीरभूम जिले के बोगतुई गांव में जनवरी 2022 में हुई हिंसा के मुख्य आरोपियों में से एक ललन शेख की सोमवार 12 दिसंबर को कथित तौर पर सीबीआई हिरासत में मौत हो गई थी। सीबीआई का कहना है कि उसने खुदकुशी की है।
पुलिस ने जो एफआईआर दर्ज की है, उसमें सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों के नाम हैं। सूत्रों का कहना है कि सीबीआई कलकत्ता हाईकोर्ट में इस एफआईआर को चुनौती देगी। हालांकि बंगाल पुलिस ने ललन शेख के परिवार द्वारा की गई शिकायत के बाद एफआईआर दर्ज की है। ललन की पत्नी ने सीबीआई अफसरों पर आरोप लगाया कि उन्होंने ललन को प्रताड़ित किया, इस वजह से उसकी मौत हुई। लालन शेख की पत्नी ने आरोप लगाया है कि सीबीआई अधिकारियों ने उनके पति को जान से मारने की धमकी दी थी और मामले में उनका नाम हटाने के लिए 50 लाख रुपये की मांग की थी।
ललन शेख को बीरभूम हिंसा के आठ महीने बाद 4 दिसंबर को झारखंड से गिरफ्तार किया गया था। बीरभूम हिंसा में महिलाओं और बच्चों सहित 10 लोगों को जिंदा जला दिया गया था।
बीरभूम हिंसा का फाइल फोटो।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस मामले में सीबीआई की भूमिका पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा, "मैं इस घटना की निंदा करती हूं। अगर सीबीआई इतनी होशियार है, तो आरोपी कैसे मरा।" सीबीआई ने सभी आरोपों को "निराधार" बताते हुए खारिज कर दिया और ललन शेख की मौत की जांच शुरू कर दी।
सीबीआई बीरभूम हिंसा मामले की जांच कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर कर रही है। ऐसा माना जाता है कि शेख ने उस भीड़ का नेतृत्व किया था जिसने बोगतुई में घरों में आग लगा दी थी, जिससे 10 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे।
हादसे में मरने वालों में एक आठ साल की बच्ची भी शामिल है।
स्थानीय टीएमसी नेता भादू शेख की हत्या के बाद वहां हिंसा हुई थी। सीबीआई की चार्जशीट में कहा गया है कि भादू शेख की हत्या उसके और उसके सहयोगियों के बीच संदिग्ध भूमि सौदों, अवैध व्यवसाय और जबरन वसूली के हिस्से को लेकर प्रतिद्वंद्विता का नतीजा थी।
पुरानी है तनातनीः सीबीआई और बंगाल पुलिस के बीच लंबे समय से रस्साकशी चल रही है। सीबीआई ने पिछले वर्ष और इस साल जो छापे मारे उसमें बंगाल पुलिस पर उसने असहयोग का आरोप भी लगाया था।
2021 में बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान बड़े पैमाने पर हिंसा हुई थी। हालांकि राज्य में सत्तारूढ़ टीएमसी और बीजेपी में तनाव का माहौल मार्च में हुए विधानसभा चुनाव से पहले बनने लगा था। मीडिया में उस समय आ रही खबरों में यह बताया जाता था कि बंगाल में इस बार टीएमसी हार सकती है और बीजेपी के पक्ष में माहौल है। लेकिन नतीजे आने पर उल्टी कहानी सामने आई। ममता बनर्जी की पार्टी भारी बहुमत से लौटी। लेकिन इसके बाद आरोपों का दौर शुरू हो गया। सीबीआई ने चुनाव के बाद हुई हिंसा में टीएमसी नेताओं के खिलाफ 9 एफआईआर दर्ज की थीं। इस दौरान सीबीआई ने बंगाल के डीआईजी पर यह भी आरोप लगाया कि वो मांगी की गई सूचनाएं उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। सीबीआई ने चुनाव के बाद हुई हिंसा के 30 मामलों की जांच शुरू की थी।
सीबीआई ने उसी दौरान एक पीड़ित शख्स से पूछा था कि क्या कोलकाता पुलिस के तीन अधिकारियों ने उसे टीएमसी के वर्तमान विधायक के खिलाफ बयान नहीं देने को कहा था। सीबीआई ने पीड़ित से तीनों पुलिस अफसरों की पहचान करने को कहा था।
सीबीआई ने 19 मई को बंगाल के शिक्षा मंत्री प्रकाश चंद्र अधिकारी के खिलाफ शिक्षक भर्ती घोटाले में केस दर्ज किया। इसके बाद छापों का सिलसिला शुरू हो गया। सीबीआई अभी छापे मार ही रही थी कि बंगाल पुलिस ने कोयले स्कैम में सीबीआई के कुछ अफसरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। इसमें सीबीआई का उमेश कुमार नामक वो अधिकारी भी शामिल था, जो बंगाल के कोयला घोटाले की जांच कर रहा था।
अभिषेक बनर्जी
दरअसल, कोयला घोटाले की जांच करते हुए सीबीआई टीएमसी सांसद और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी के आवास पर 14 जून 2022 को जा पहुंची थी। वो अभिषेक के घर पर उनकी पत्नी से पूछताछ करने पहुंची थी। इस घटनाक्रम के बाद बंगाल और केंद्र के बीच टकराव बढ़ गया था। इसी के बाद सीबीआई के कुछ अफसरों के खिलाफ बंगाल पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली थी। सीबीआई के जिन अफसरों के खिलाफ बंगाल पुलिस ने एफआईआर की थी, उसमें शिकायतकर्ता डायमंड हार्बर से था। संयोग से डायमंड हार्बर से ही अभिषेक बनर्जी सांसद हैं।
दिलचस्प घटनाक्रम
बंगाल पुलिस बनाम सीबीआई की रस्साकशी में एक रोचक घटनाक्रम 21 अगस्त 2022 को हुआ। पीटीआई की एक खबर के मुताबिक बीजेपी बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने 21 अगस्त को दिल्ली में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि चूंकि सीबीआई के कुछ अधिकारियों की टीएमसी नेताओं से सेटिंग थी, इसलिए वित्त मंत्रालय ने अब ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) को बंगाल में टीएमसी नेताओं के खिलाफ जांच करने भेजा है। दिलीप घोष ने कहा कि कोयला घोटाला, जानवरों की तस्करी, टीचर भर्ती घोटाले में सीबीआई वांछित नतीजे नहीं ला पाई है। उसके कुछ अफसरों की टीएमसी नेताओं से सेटिंग हो गई है। इसलिए ईडी को भेजा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि इसीलिए बंगाल से सीबीआई के कुछ अफसरों का ट्रांसफर भी किया गया।बीजेपी सांसद और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष।
यहां यह बताना जरूरी है कि ईडी ने ही बंगाल के तत्कालीन शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को शिक्षक भर्ती घोटाले में गिरफ्तार किया था। ईडी ने पार्थ चटर्जी की खास महिला सहयोगी के यहां से कई करोड़ का कैश बरामद किया था। सीबीआई ने बीरभूम से टीएमसी के जिला अध्यक्ष अनुब्रत मंडल को जानवरों की स्मगलिंग के मामले में गिरफ्तार किया था।
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