पश्चिम बंगाल के राजभवन की स्टाफ द्वारा राज्यापाल सीवी आनंद बोस पर लगाए गए छेड़छाड़ का आरोप अभी पूरी तरह शांत भी नहीं हुआ है कि एक अन्य महिला द्वारा की गई एक शिकायत सामने आ गई है। यह मामला एक साल पुराना बताया जाता है। द टेलीग्राफ की रिपोर्ट के अनुसार राज्यपाल बोस के खिलाफ एक अन्य महिला द्वारा लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों पर शहर की पुलिस ने इसी हफ्ते बंगाल के गृह सचिव को एक रिपोर्ट सौंपी है।
रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने कहा है कि यह आरोप पिछले साल तब सामने आया जब महिला ने सीधे मुख्यमंत्री के पास शिकायत दर्ज कराई और पुलिस को दावे की जांच करने का निर्देश दिया गया। हालाँकि, अभी तक कोई औपचारिक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।
अंग्रेज़ी अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि इस महिला के साथ कथित घटना पिछले साल जनवरी में दिल्ली में हुई थी। अधिकारी ने कहा है, 'महिला ने आरोप लगाया है कि उन्होंने (गवर्नर) उसे एक व्यक्तिगत परेशानी में मदद का वादा किया था। उन्होंने उसे दिल्ली भेज दिया और अपने एक रिश्तेदार के माध्यम से एक होटल में उसके रहने की व्यवस्था की। वह स्वयं एक सरकारी आवास में रुके थे। कथित घटना उस यात्रा के दौरान हुई।'
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि कुछ महीने बाद महिला ने मामले की जानकारी मुख्यमंत्री को दी, जिसके आधार पर सीएमओ ने पुलिस से रिपोर्ट मांगी। यह रिपोर्ट इसी साल 10 मई को गृह सचिव के कार्यालय को सौंपी गई। अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार लालबाजार के वरिष्ठ अधिकारी इसको लेकर चुप्पी साधे हुए हैं कि रिपोर्ट में क्या है। अख़बार की रिपोर्ट के अनुसार शहर के पुलिस आयुक्त विनीत गोयल, राज्यपाल और उनके सचिव की आधिकारिक आईडी पर इस मामले में प्रतिक्रिया के लिए संदेश और ईमेल भेजे जाने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिला है।
यही वह मामला है जिसको क़रीब एक पखवाड़ा पहले टीएमसी ने मुद्दा बना दिया था। तृणमूल कांग्रेस सांसद साकेत गोखले और सागरिका घोष ने 2 मई को दावा किया था कि एक महिला ने आरोप लगाया है कि जब वह राजभवन गई तो राज्यपाल ने यौन उत्पीड़न किया।
हालाँकि राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने इस आरोप को खारिज कर दिया और आरोप लगाया कि चुनावी लाभ के लिए यह सब किया जा रहा है। उन्होंने एएनआई से कहा था, 'सच्चाई की जीत होगी। मैं गढ़ी गई कहानियों से डरता नहीं हूं। अगर कोई मुझे बदनाम करके कुछ चुनावी लाभ चाहता है, तो भगवान उन्हें आशीर्वाद दें। लेकिन वे बंगाल में भ्रष्टाचार और हिंसा के खिलाफ मेरी लड़ाई को नहीं रोक सकते।'
बोस के खिलाफ कथित शारीरिक उत्पीड़न के दो आरोपों के बावजूद पुलिस उनके खिलाफ औपचारिक आरोप नहीं लगा पाई है। ऐसा इसलिए कि राज्यपाल को संविधान के अनुच्छेद 361 के तहत संवैधानिक छूट मिली हुई है।
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