केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पश्चिम बंगाल के दौरे पर हैं और इस दौरान उन्होंने कई मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना की है। इंडिया टुडे के मुताबिक़, शाह के इस दौरे में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के छह विधायक और एक सांसद बीजेपी में शामिल हो सकते हैं।
इंडिया टुडे का कहना है कि टीएमसी से बीजेपी में आने वाले संभावित नेताओं में सांसद सुनील मंडल, विधायक बनश्री मैती, बिस्वजीत कुंडू, शीलभद्र दत्ता, सुकरा मुंडा और दीपाली बिस्वास शामिल हैं। इसके अलावा कांग्रेस विधायक सुदीप मुखर्जी, सीपीआई विधायक अशोक डिंडा, सीपीएम विधायक तपासी मंडल भी बीजेपी का दामन थामेंगे।
उधर, शुभेंदु के इस्तीफ़े को विधानसभा स्पीकर ने खारिज कर दिया है। स्पीकर बिमान बनर्जी ने शुक्रवार को कहा कि उन्होंने शुभेंदु के इस्तीफ़े की जांच की तो देखा कि उसमें तारीख़ नहीं लिखी गई है। उन्होंने कहा कि शुभेंदु को ख़ुद आकर उन्हें इस्तीफ़ा देना होगा और वह 21 दिसंबर से पहले ऐसा कभी भी कर सकते हैं।
शुभेंदु ने बुधवार को विधायक पद से इस्तीफ़ा दे दिया था। शुभेंदु ने हुगली रिवर ब्रिज कमिश्नर (एचआरबीसी) के अध्यक्ष पद से और उसके अगले दिन परिवहन मंत्री पद से भी इस्तीफ़ा दे दिया था। शुभेंदु ने गुरूवार को टीएमसी को अलविदा कहा था।
गुरूवार शाम को एक और असंतुष्ट नेता और आसनसोल से टीएमसी के विधायक जितेंद्र तिवारी ने भी पार्टी छोड़ दी और विधानसभा से इस्तीफ़ा दे दिया। इसके अलावा शुक्रवार को एक और विधायक शीलभद्र दत्ता ने पार्टी से अपनी राह अलग कर ली।
जेड कैटेगरी की सुरक्षा दी
मंगलवार को शुभेंदु के जन्मदिन पर जब बंगाल बीजेपी के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय ने उन्हें शुभकामनाएं दीं तो इससे इस तरह की चर्चाओं को और बल मिल गया कि शुभेंदु बीजेपी में जाने वाले हैं।
पूर्वी मेदिनीपुर सहित बंगाल के कई इलाक़ों में शुभेंदु अधिकारी का अच्छा जनाधार माना जाता है। शुभेंदु को मनाने की कई कोशिशें ममता बनर्जी की ओर से की गईं लेकिन अब वह टीएमसी में ज़्यादा दिन के मेहमान नहीं हैं। बीजेपी उन्हें कई बार पार्टी में आने का न्यौता भी दे चुकी है।
बीजेपी के लिए नाक की लड़ाई
पश्चिम बंगाल में ममता सरकार को हटाने को बीजेपी ने नाक की लड़ाई बना लिया है। हाल ही में पश्चिम बंगाल के दौरे पर पहुंचे बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के काफिले पर हुए पथराव के बाद राज्य की सियासत में पहले से जारी घमासान की आग में पेट्रोल पड़ गया है। बीजेपी ने अपने कार्यकर्ताओं की हत्या को लेकर राज्य में जबरदस्त आंदोलन छेड़ा हुआ है।
संघ-बीजेपी सक्रिय
अमित शाह लगातार बंगाल के दौरे कर रहे हैं। इसके साथ ही राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने भी अपने लोगों को बंगाल में नियुक्त किया है और बीजेपी ने भी कई नेताओं को वहां चुनाव जिताने की जिम्मेदारी सौंपी है। बिहार चुनाव में मिली जीत के बाद दिल्ली के बीजेपी मुख्यालय पर हुए कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ममता बनर्जी का नाम लिए बिना उन पर निशाना साधा था।
संघ-बीजेपी के मुक़ाबले टीएमसी में ममता बनर्जी अकेली स्टार प्रचारक हैं और पूरी ताक़त के साथ चुनावी प्रबंधन में जुटी हुई हैं। लेकिन शुभेंदु अधिकारी के अलावा कुछ और नेताओं के बाग़ी तेवरों ने ममता दीदी को परेशान किया हुआ है।
शुभेंदु अधिकारी मेदिनीपुर जिले की नंदीग्राम सीट से विधायक हैं। नंदीग्राम का नाम तब चर्चा में आया था, जब 2007 में जमीन अधिग्रहण के ख़िलाफ़ हिंसक आंदोलन हुआ था और टीएमसी के सत्ता में पहुंचने का रास्ता साफ हुआ था।
शुभेंदु मालदा, मुर्शिदाबाद, पुरूलिया और बांकुरा में टीएमसी के प्रभारी रहे हैं। इन जिलों में उन्होंने पार्टी को मजबूत करने के लिए काफी काम भी किया है। ऐसे में उनके नाराज़ होने का सीधा मतलब है कि इन इलाक़ों में टीएमसी को नुक़सान हो सकता है।
शुभेंदु ने मंगलवार को कहा कि दूसरे राज्यों से आने वाले लोगों से बाहरी लोगों जैसा व्यवहार नहीं किया जा सकता। यह ममता बनर्जी के उन हमलों का जवाब माना गया, जिसमें वह बीजेपी के नेताओं को बाहरी कहती रही हैं। उन्होंने कहा कि हम पहले भारतीय हैं और उसके बाद बंगाली हैं।
शुभेंदु अगर जाते हैं तो यह ममता बनर्जी के लिए झटका साबित हो सकता है क्योंकि टीएमसी में ममता दीदी के बाद शुभेंदु दूसरे नंबर के बड़े नेता माने जाते हैं।
प्रशांत, अभिषेक से नाराज़गी
शुभेंदु की नाराज़गी का कारण यह बताया जाता है कि वह टीएमसी में ममता के भतीजे और सांसद अभिषेक बनर्जी और चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के बढ़ते दख़ल से नाराज़ हैं। ममता बनर्जी पर आरोप है कि वह टीएमसी के पुराने नेताओं को दरकिनार कर अभिषेक को मुख्यमंत्री पद के उत्तराधिकारी के तौर पर बढ़ावा दे रही हैं।
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