बंगाल के पूर्व मुख्य सचिव आलापन बंद्योपाध्याय को दिल्ली बुलाए जाने को लेकर केंद्र और राज्य सरकार के बीच चल रहे सियासी घमासान में नया मोड़ आ गया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार शाम को आलापन बंद्योपाध्याय को अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त किया है और उनकी जगह एचके द्विवेदी को मुख्य सचिव नियुक्त किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वे बंद्योपाध्याय को सचिवालय नहीं छोड़ने देंगी और अब वे उनके मुख्य सलाहकार हैं।
सोमवार को ही ममता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर आलापन बंद्योपाध्याय को दिल्ली भेजने से इनकार कर दिया था। ममता ने कहा था कि केंद्र इस मामले में एकतरफ़ा फ़ैसला नहीं ले सकता है। उन्होंने केंद्र के इस फ़ैसले को असंवैधानिक और ग़ैरक़ानूनी क़रार दिया है।
ममता ने कहा है कि उनकी सरकार को बंद्योपाध्याय की सेवाओं की ज़रूरत है और इस बात को सभी लोग जानते हैं कि उन्होंने कैसा काम किया है और इसी वजह से आज हम सुरक्षित हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अलपन को बंगाल और देश के लिए अपनी सेवाएं जारी रखनी चाहिए।
जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीते शुक्रवार को यास तूफ़ान को लेकर समीक्षा बैठक लेने कोलकाता पहुंचे थे तो कहा गया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन्हें आधे घंटे तक इंतजार कराया था। इस बैठक में राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी मौजूद रहे थे। इसे लेकर बीजेपी और टीएमसी के बीच जमकर जुबानी जंग भी हुई थी।
ममता बनर्जी ने बाद में इन आरोपों का खंडन किया था और उन्होंने आरोप लगाया था कि उल्टे मुख्यमंत्री और उनकी टीम को कई मिनटों तक इंतज़ार कराया गया था। उन्होंने कहा कि जब उनकी टीम पहुंची तो उन्हें कहा गया कि प्रधानमंत्री मोदी ज़रूरी बैठक ले रहे हैं और इस कारण उन्हें इंतज़ार करना पड़ा था।
गिरफ़्तारी के बाद बढ़ा बवाल
पश्चिम बंगाल की सियासत में विधानसभा चुनाव के बाद केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के बीच टकराव तब और बढ़ा जब कुछ दिन पहले नारद स्टिंग मामले में टीएमसी के तीन और कुल चार नेताओं को सीबीआई ने गिरफ़्तार कर लिया था। इन नेताओं में नगर विकास मंत्री फ़िरहाद हाकिम, पंचायत मंत्री सुब्रत मुखर्जी, विधायक मदन मित्र और विधायक शोभन चट्टोपाध्याय का नाम शामिल है। अगले दिन इन नेताओं को जेल भेज दिया गया था। इसके बाद ममता बनर्जी भी सीबीआई दफ़्तर पहुंचीं थी और टीएमसी कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे थे। इन सभी नेताओं को 28 मई को जमानत मिली है।
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