6 दिसंबर, 1992 को अयोध्या में जमा हुए कारसेवकों ने बाबरी मस्जिद को गिरा दिया था। क्या केंद्र की तत्कालीन कांग्रेस सरकार, सर्वोच्च न्यायालय को पहले से इसका आभास नहीं था कि उस दिन ऐसा हो सकता है?
क्या केंद्र सरकार विश्वविद्यालयों में राष्ट्रवादी विचारधारा का प्रचार प्रसार कर रही है और क्या वह चाहती है कि विश्वविद्यालय भी इस विचारधारा के प्रचारक के रूप में काम करें?
आनंद तेलतुंबडे की जमानत के मामले में भारतीय राज्य की दलीलों को बंबई हाई कोर्ट ने ठुकरा दिया। अदालत ने पाया कि अभियोग पक्ष के पास आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सुबूत नहीं हैं। राज्य इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ सर्वोच्च न्यायालय जाना चाहता है। सुप्रीम कोर्ट क्या इस मामले में व्यक्ति की स्वतंत्रता को अहमियत देगा?
‘दृष्टि’ के संस्थापक और अध्यापक डॉक्टर विकास दिव्यकीर्ति ने वाल्मीकि रामायण और महाभारत के प्रसंगों को उद्धृत भर किया था। लेकिन बिना उनकी पूरी बात सुने भावनाएं आहत होने के नाम पर उन्हें निशाने पर ले लिया गया। क्या उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है?
मोरबी पुल हादसे की चीख-पुकार अभी शांत नहीं हुई है। इस हादसे के बाद भी आखिर क्यों ओरेवा कंपनी के मालिक, नगरपालिका के जन प्रतिनिधि, राज्य सरकार और बीजेपी नेता निश्चिंत हैं?
हिजाब मामले में सुप्रीम कोर्ट के जजों का अलग-अलग फैसला सामने आया है। इस फैसले के बीच महात्मा गांधी के डरबन में अदालत जाने और यूरोपीय मैजिस्ट्रेट के द्वारा उनसे पगड़ी उतारने की बात वाले प्रसंग को याद करना जरूरी है।
2014 में 2 अक्टूबर को शुरू किया गया स्वच्छता अभियान क्या सिर्फ नाटक बनकर रह गया है? गाँधी के नाम पर झूठ और पाखंड करना उनकी स्मृति का सबसे बड़ा अपमान है।
गुजरात सरकार के द्वारा बिलकीस बानो के दोषियों को रिहा करने के फैसले को लेकर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल उठ रहे थे। लेकिन क्या प्रधानमंत्री ने चुप्पी तोड़ दी है और सबको जवाब दे दिया है।