कमला को ट्रम्प घटिया कह चुके हैं। कमला हैरिस ने अमरीका के सर्वोच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश की आलोचना की थी। इसके चलते ट्रम्प ने उन्हें घटिया कहा था। वे बार-बार कह रहे हैं कि कमला हैरिस अमरीका की हो ही नहीं सकतीं।
सर्वोच्च न्यायालय की एक पीठ ने प्रशांत भूषण को बताया है कि अपनी ग़लती मान लेने से कोई छोटा नहीं हो जाता। इस प्रसंग में, जैसा भारत में हर प्रसंग में करने का रिवाज है, न्यायमूर्ति ने महात्मा गाँधी का सहारा लिया।
जैन धर्म का मानव संस्कृति को योगदान ही माना जाएगा कि उसने क्षमायाचना को एक सामुदायिक या सार्वजनिक भाव के रूप में प्रतिष्ठित किया। पढ़ें अपूर्वानंद का लेख।
थाने पर भीड़ का इकट्ठा होना, उत्तेजित हो जाना, हिंसा पर उतर आना यह किसी भी तरह स्वीकार्य प्रतिक्रिया नहीं है। यह स्वाभाविक नहीं है, यह संगठित है और नियोजित है।
क्या हमें मान लेना चाहिए कि 2020 का 5 अगस्त भारतीय गणतंत्र के पहले संस्करण का अवसान और दूसरे संस्करण का जन्म दिवस है? क्या इसकी चमक दमक 15 अगस्त की आभा को धूमिल कर देगी?
उमर अब्दुल्ला नाराज़ हैं। भारत के विपक्ष से, संसद से और अपने आप से। अपने साथ किए गए धोखे से वह नाराज़ हैं। वह क्षुब्ध हैं कि जम्मू और कश्मीर की रही-सही स्वायत्तता का अपहरण कर लिया गया और उसके दो टुकड़े कर दिए गए।
शायद अब वक़्त आ गया है कि इसे किसी एक ख़ास मुल्क या मज़हब या समुदाय को लगनेवाली बीमारी न मानकर वैसे ही महामारी माना जाए जैसे हम कोरोना वायरस के संक्रमण को मानते हैं।
तो क्या अब दुनिया भर के मुसलमानों के लिए यह जश्न का मौक़ा है? यह कि हागिया सोफ़िया या हाया सोफ़िया अब फिर से मसजिद है? वह जो कल तक संग्रहालय थी? उसके पहले मसजिद? और उसके भी पहले एक गिरजाघर?
आज जो चीन के सम्पूर्ण बहिष्कार का नारा दे रहे हैं, वे कल तक अफ़सोस कर रहे थे कि चीन ने विकास की जो ऊँचाइयाँ हासिल कर ली हैं, हम उनके क़रीब भी क्यों नहीं पहुँच पाए हैं।
राजनीति में झूठ बोलना क्या एक नये दौर में पहुँच गया है। अमेरिका में तो मीडिया ने ट्रम्प के झूठ की लंबी फेहरिस्त तक छापी है। इस पर शोध हुए हैं कि उनके लगातार झूठ और ग़लत तथ्यों की जानकारी देने की ख़बरें छपने के बावजूद जनता और झूठ क्यों माँगती है।