लेडी श्रीराम कॉलेज की एक छात्रा ने तेलंगाना में आत्महत्या कर ली। उनका परिवार पहले से ही कर्ज में डूबा था इस वजह से ऐश्वर्या ऑनलाइन पढ़ाई करने में सक्षम नहीं थीं। शिक्षा व्यवस्था में आख़िर गड़बड़ी कहाँ है?
बाइडन ने कहा कि जो हारे हैं वे भी अमेरिकी हैं। किसी और मौके पर यह सब कुछ बहुत ही घिसा-पिटा लगता लेकिन चुनाव नतीजों के बाद इस वक्तव्य को सुनते हुए रोने वालों की संख्या कम न थी।
पैगंबर मुहम्मद कार्टून विवाद से यह सवाल खड़ा होता है कि क्या किसी भी कीमत पर व्यक्तिगत या निजी स्वतंत्रता की रक्षा की जानी चाहिए, क्या इसमें ज़िम्मेदारी का अहसास नहीं होना चाहिए। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफ़ेसर अपूर्वानंद यह सवाल उठा रहे हैं।
फ्रांस में कुछ दिन पहले एक अध्यापक की सर काट कर की गई हत्या ने फ्रांस को ही नहीं, पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। कितना ही गंभीर धार्मिक अपमान या ईशनिंदा क्यों न हो, क्या हिंसा किसी भी तरह जायज़ ठहराई जा सकती है?
इतिहास में हमेशा ऐसे लोग हुए हैं जो अन्याय को पहचान सके हैं। जो हिंसा के स्रोत तक पहुँच पाते हैं। ऐसे लोगों को आप चाहे तो न्याय का समुदाय या इंसाफ़ की बिरादरी कह सकते हैं।
आज यानी 23 मार्च को भगत सिंह को फांसी पर चढ़ाया गया था। भगत सिंह भगत सिंह कैसे बने? किताबों ने। किताबों से उनका गहरा लगाव था। भगत सिंह के मित्रों में से एक शिव वर्मा ने लिखा है कि भगत सिंह हमेशा एक छोटा पुस्तकालय लिए चलते थे।
कमला को ट्रम्प घटिया कह चुके हैं। कमला हैरिस ने अमरीका के सर्वोच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश की आलोचना की थी। इसके चलते ट्रम्प ने उन्हें घटिया कहा था। वे बार-बार कह रहे हैं कि कमला हैरिस अमरीका की हो ही नहीं सकतीं।
सर्वोच्च न्यायालय की एक पीठ ने प्रशांत भूषण को बताया है कि अपनी ग़लती मान लेने से कोई छोटा नहीं हो जाता। इस प्रसंग में, जैसा भारत में हर प्रसंग में करने का रिवाज है, न्यायमूर्ति ने महात्मा गाँधी का सहारा लिया।
जैन धर्म का मानव संस्कृति को योगदान ही माना जाएगा कि उसने क्षमायाचना को एक सामुदायिक या सार्वजनिक भाव के रूप में प्रतिष्ठित किया। पढ़ें अपूर्वानंद का लेख।
थाने पर भीड़ का इकट्ठा होना, उत्तेजित हो जाना, हिंसा पर उतर आना यह किसी भी तरह स्वीकार्य प्रतिक्रिया नहीं है। यह स्वाभाविक नहीं है, यह संगठित है और नियोजित है।