भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी की कारगुजारी के बाद भारतीय संसद की गरिमा को लेकर तमाम सवाल खड़े हो गए हैं। ऐसे में सिर्फ और सिर्फ स्पीकर ही भारतीय संसद की गरिमा बचा सकते हैं। ऐसा न हुआ तो इतिहास में आने वाली पीढ़ियां पढ़ेंगी कि कैसे देश की संसद की मर्यादा को देश के ही सत्तारूढ़ दल ने तार-तार कर दिया।
आज के भारत की वैश्विक पहचान भारतीय होने में है न कि सनातनी या अन्य कोई धर्मसूचक शब्द से! सबसे अहम बात तो यह है कि धर्म की ढाल लोकतान्त्रिक गणराज्य के प्रधानमंत्री को शोभा नहीं देती। स्तंभकार वंदिता मिश्रा को पढ़िएः
बिना एजेंडा बताए, संसद का विशेष सत्र बुला लिया गया है। लेकिन ऐसा नामुमकिन है कि सरकार ने बिना सोचे समझे विशेष सत्र बुला लिया हो। हो सकता है कि सरकार ने कुछ ऐसा सोचा हो, जिसे वो बताना न चाहती हो लेकिन अगर विपक्ष सवाल न करे तो क्या करे। विपक्ष को लगातार सवाल पूछना चाहिए, जिसे वो कर भी रहा है।
देश धार्मिक उन्माद की तरफ लगातार बढ़ रहा है। मुजफ्फरनगर जिले में मुस्लिम बच्चे को क्लास में थप्पड़ लगवाने की घटना पर बहस शुरू हो चुकी है। लेकिन इन हालात और ऐसी घटनाओं पर सरकार चुप है। अदालत एक सीमा तक हस्तक्षेप कर पा रही है। हेट स्पीच आपके देश और इसकी व्यवस्था को खाने जा रही है! पत्रकार वंदिता मिश्रा का इस हफ्ते का लेख पढ़िएः
प्रधानमंत्री मोदी ने इस बार 15 अगस्त पर लाल किले से जो भाषण दिया, तमाम बुद्धिजीवी अभी भी अपने हिसाब से उसकी व्याख्या कर रहे हैं। स्तंभकार वंदिता मिश्रा का नजरिया भी पढ़िएः
संसद में प्रधानमंत्री के भाषण के बाद मणिपुर को लेकर देश में निराशा का माहौल बरकरार है। स्तंभकार वंदिता मिश्रा का कहना है कि कॉंग्रेस का भूत और प्रधानमंत्री के अपने व्यक्तिगत सपनों का भविष्य उनका पीछा छोड़ने को तैयार नहीं हैं।
अब जबकि ट्विटर का लोगो बदल चुका है। इसने ‘ब्लू बर्ड’ की जगह ‘X’ को अपना नया लोगो चुना है। पूरा का पूरा ट्विटर प्लेटफॉर्म आने वाले समय में X.com में परिवर्तित होने वाला है। ऐसे में यह जांच जरूरी है कि ट्विटर ने सिर्फ लोगो ही बदला है या पूरा ट्विटर ही बदल गया है।
इससे अधिक हास्यास्पद, तर्कहीन और नकारात्मक बात क्या हो सकती है कि प्रधानमंत्री देश के विपक्ष पर देश के विकास को रोकने का आरोप लगाए। पत्रकार वंदिता मिश्रा का कहना है कि पीएम मोदी की गारंटियों पर अब और भरोसा नहीं किया जा सकता है। पढ़िएः
मणिपुर वीडियो के जरिए जो भयावह सच सामने आया, उस पर पूरी मानवता शर्मसार है। लेकिन कुछ लोगों को तो शर्म भी नहीं आ रही। पीएम मोदी ने बहुत दुख जताया लेकिन मणिपुर के लोगों से शांति की अपील नहीं की। वो पिछले दो महीने से मणिपुर पर चुप थे। पत्रकार और स्तंभकार वंदिता मिश्रा कह रही हैं - प्रधानमंत्री और सरकार की उपस्थिति तो पहले से ही संदिग्ध है। पढ़िए उनका यह लेख।
चंद्रयान 3 जैसी सफलता को इस देश की साम्प्रदायिक राजनीति छोटा कर देती है। पूरी दुनिया ने चंद्रयान 3 की सफलता की कहानी के साथ यह बयान भी पढ़ा कि कैसे भारत के एक राज्य का मुख्यमंत्री अपनी नाकामी का ठीकरा मुसलमानों पर यह कहकर फोड़ रहा है कि महंगी सब्जी के जिम्मेदार मुसलमान हैं। कपड़ों से पहचाने जाने वाले बयान का यह बयान एक विस्तार ही है। पत्रकार वंदिता मिश्रा का विमर्श इस बार इसी पर है।
देश में माफी का माहौल तैयार हो रहा है। लेकिन जिस तंत्र को अपने कपट और अहंकार के लिए माफी मांगनी चाहिए, वो नहीं मांग रहा। फिर भी न्याय के घोषित पुरोहित संतुष्ट हैं। न्याय को तोड़ा मरोड़ा जा रहा है। गरीबों को स्वाभिमान की गारंटी तो मिल रही है लेकिन इस देश में न्याय की गारंटी देने वाला कोई नहीं। आज स्तंभकार वंदिता मिश्रा को पढ़िएः
उभरते हुए दलित नेता चंद्रशेखर आजाद पर हमले का मकसद अभी साफ नहीं है, यह बात यूपी के डीजीपी (कानून व्यवस्था) ने कही है। लेकिन चंद्रशेखर एक उभरते हुए दलित नेता हैं। इसलिए तमाम आशंकाएं भी हैं। अपने साप्ताहिक कालम में पत्रकार वंदिता मिश्रा का सीधा सवाल है कि कहीं ये दलित राजनीति को खत्म करने की कोशिश तो नहीं है।
प्रधानमंत्री मोदी का अमेरिका दौरा अभी-अभी खत्म हुआ है। स्तंभकार वंदिता मिश्रा बता रही हैं कि पीएम मोदी विदेशी धरती पर योग पर भाषण झाड़ते रहे। मणिपुर की जातीय हिंसा में जलते लोगों के लिए उनके पास कोई संदेश नहीं था।
प्रधानमंत्री मोदी के मन की बात का आज देशभर में प्रसारण हुआ लेकिन आग में खाक होते मणिपुर पर उनकी कोई आवाज सुनाई नहीं दी। स्तंभकार वंदिता मिश्रा का कहना है कि महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रधानमंत्री अक्सर चुप रहते हैं।