क्या संघ प्रमुख भागवत संविधान से ऊपर हैं? वे किस हैसियत से मुसलमानों के सामने हिंदुस्तान में रहने की शर्तें रख रहे हैं? वे उन्हें अंदरूनी ख़तरा बताकर कौन सी देशभक्ति दिखा रहे हैं? क्या उच्चतम न्यायालय को उनके वक्तव्यों का संज्ञान लेकर कार्रवाई करनी चाहिए? क्या भागवत 2024 के लिए पिच तैयार करने के लिए इस तरह की बातें कर रहे हैं?