Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। अडानी: ‘NDTV खरीदना हमारी ज़िम्मेदारी, सरकार सही करे तो दिखाने का साहस हो’ । शाह : 2002 में 'सबक' सिखाकर BJP ने राज्य में ' स्थायी शांति' कायम की
गुजरात में पहले दौर के चुनाव को एक हफ़्ते बचे हैं । क्यों बीजेपी कह रही है कि लड़ाई कांग्रेस से हैं आप से नहीं ? क्या बीजेपी को आप बड़ा ख़तरा लग रही है ? क्यों बीजेपी के बाग़ी बड़ा ख़तरा बनते जा रहे हैं ? आशुतोष के साथ चर्चा में C Voter के यशवंत देशमुख और गुजरात चुनाव के विशेषज्ञ अजय उम्मट ।
गृहमंत्री अमित शाह को गुजरात दंगे क्यों याद आ रहे हैं? वे क्यों कह रहे हैं कि 2002 में उन्होंने सबक सिखा दिया? उन्होंने किसको सबक सिखाया और कैसे सिखाया? क्या वे और उनकी पार्टी फिर से हिंदू-मुसलमान पर उतर आई है? क्या चुनाव प्रचार के आख़िरी चरण में अब इस तरह की और भी बयानबाज़ी बीजेपी नेता करेंगे?
कॉंग्रेस राजस्थान में करना क्या चाहती है? क्या अशोक गहलोत और आलाकमान के बीच तलवारें तन चुकी हैं? सचिन पायलट पर क्यों भड़के अशोक गहलोत? और क्या है जयराम रमेश के बयान का अर्थ? आलोक जोशी के साथ विनोद अग्निहोत्री, पूर्णिमा जोशी, अनिल शर्मा, सतीश के सिंह,
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा दो हजार किलोमीटर से ज्यादा चल चुकी है .मौजूदा समय में कोई ऐसा नेता नही मिलेगा जो ऐसी यात्रा के जरिये देश को जानने समझने का प्रयास किए हो .आज की जनादेश चर्चा .
समान नागरिक संहिता लाने के अमित शाह के बार-बार के वादे से लगता है कि बीजेपी में किसी तरह की हताशा झलक रही है। क्या इसका मतलब यह है कि राम मंदिर पहले ही अपनी मतदान क्षमता को पार कर चुका है?
भारत जोड़ो यात्रा मध्यप्रदेश के साथ ही हिंदी बेल्ट में प्रवेश कर गई है ! अब तक द़क्षिण और महाराष्ट्र में यात्रा को ज़बर्दस्त समर्थन मिला है ! क्या होगा हिंदी बेल्ट में ? ये बीजेपी का सबसे मज़बूत गढ़ है । मोदी के जलने वाली जगह है ? क्या यहाँ यात्रा टिक पायेगी ? क्या राहुल को समर्थन मिलेगा?
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयुक्त की नियुक्ति को लेकर जो हड़बड़ी दिखाई गई है उसपर सवाल खड़ा कर दिया है .इस संदर्भ में शीर्ष अदालत ने जो टिपण्णी की है वह बहुत गंभीर है .आज की जनादेश चर्चा .
राहुल गांधी भारत जोड़ो पर निकले हैं, और राजस्थान में उनकी पार्टी ही जुड़ नहीं पाती। पायलट खेमे से बयानबाज़ी के बाद अब मुख्यमंत्री गहलोत हुए हमलावर। कहा सचिन पायलट के साथ दस विधायक भी नहीं। गद्दार को मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा सकता। क्या चल रहा है राजस्थान में? कैसे पढ़ें इस नई तकरार को?
श्रद्धा वालकर की नृशंस हत्या को मीडिया ने लव जिहाद का रंग क्यों दे दिया? हत्यारा एक मुसलमान तो क्या सभी मुसलमानों को अपराधी करार दिया जाएगा? जब कोई हिंदू हत्यारा होता है तो वह इसे इस रूप में क्यों प्रस्तुत नहीं करता? क्या ये पूरे समुदाय को सांप्रदायिक चश्मे से देखना नहीं है? पूरे मामले को उसने सनसनीखेज़ क्यों बनाया, उसमें नाटकीयता क्यों भरी? क्या ये टीआरपी का खेल है या फिर सियासत का?
सौराष्ट्र पंरपरागत रूप से कांग्रेस का गढ़ । मोदी के जमाने में भी कांग्रेस को यहाँ बढ़त मिलती रही । 2017 में कई ज़िलों में बीजेपी साफ़ हो गई थी । तो क्या होगा इस बार ? आप मुक़ाबले को त्रिकोणीय बना पायेगी या बीजेपी कांग्रेस से आगे निकल जायेगी ? आशुतोष ने की कार्तिकेय बत्रा से जाना इलाक़े का हाल ।
सचिन पायलट समर्थक नेताओं से राहुल की यात्रा का विरोध करके क्या हासिल करेंगे? क्या विजय सिंह बैंसला ने पायलट के इशारे पर ये बयान दिया है? क्या पायलट मुख्यमंत्री बनने की जल्दी में अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं? ब्लैकमेल की राजनीति से क्या वे कुर्सी हासिल कर लेंगे या एक बार फिर अशोक गहलोत उन्हें मात दे देंगे?
चुनाव आयोग की नियुक्तियों का मामला गर्म हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने कहा चुनाव आयुक्त की नियुक्ति की फाइल दिखाए सरकार। टी एन शेषन के बाद कैसे कमजोर हुआ चुनाव आयोग? कॉलेजियम सिस्टम से क्या वापस आ जाएगी आयोग की ताकत? आलोक जोशी के साथ उमाकांत लखेड़ा, प्रदीप श्रीवास्तव, विराग गुप्ता और शरत प्रधान।
राहुल गांधी अपने 3500 किलोमीटर भारत जोड़ो यात्रा के कार्यकाल के दौरान कई राज्यों में अच्छा समय बिता रहे होंगे। लेकिन उन्हें गुजरात के लिए उपयुक्त समय क्यों नहीं मिल रहा है, जहां चुनाव प्रचार जोरों पर है। उन्होंने राज्य को केवल दो दिन आवंटित किए हैं। क्या कांग्रेस ने गुजरात से पहले ही हार मान ली है?
गुजरात में मुस्लिम कुल आबादी का तक़रीबन 9% से कुछ ज़्यादा है । लेकिन विधानसभा में उनकी मौजूदगी न के बराबर है ? बीजेपी मुस्लिमों को चुनाव लड़ने के लिये टिकट नहीं देती । कांग्रेस ने इस बार 182 में से सिर्फ़ 5 सीटों पर टिकट दिये हैं । क्यों गुजरात में मुस्लिम पूरी तरह से हाशिये में है ? क्या ओवैसी मुस्लिमों को आवाज़ दे रहे हैं या फिर वो बीजेपी को जिताने के लिये हैं ?