कहानीकार सुधांशु राय ने नई कहानी द किलर लिखी है। इस कहानी की शुरुआत डिटेक्टिव बूमराह के साथ होती है जो बनारस में बारिश के मौसम में इस 'किलर' की गुत्थी सुलझाने की जद्दोजहद में विलीन है।
यदि आपको एटीएम, लिफ्ट, एलिवेटर, दरवाज़े, खिड़कियों जैसी चीजों से कोरोना संक्रमण का ख़तरा है या इसकी आशंका है तो बेहतर है कि सीधे उन्हें नहीं छूआ जाए। इसके लिए 'आउट-की' उपकरण भी आ गया है।
मज़दूरों का एक आंदोलन जुलाई 1908 के दौरान मुंबई में हुआ था। यह एक राजनीतिक मज़दूर आंदोलन था। लेकिन यह आंदोलन तिलक के ‘केसरी’ समाचार पत्र की फ़ाइलों और इतिहास के दस्तावेज़ों तक में ही सिमट कर रह गया है।
अवैध खनन, जंगलों के कटने, बांधों के विरुद्ध आवाज़ उठाने वाले, साफ़ पानी और साफ़ हवा की माँग करने वालों पर पुलिस, भूमाफिया और सरकारी संरक्षण प्राप्त हत्यारे गोली चलाते हैं। यानी पर्यावरण संरक्षण भी जानलेवा साबित हो रहा है।
पुलवामा हमले के दिन जिम कार्बेट पार्क में प्रधानमंत्री मोदी की जिस शूटिंग को लेकर पूरे देश की राजनीति में तूफ़ान मचा था वह वीडियो अब बनकर तैयार हो गया है। कहीं फिर विवाद तो नहीं होगा?
कभी गंगा साफ़ हो पाएगी भी या नहीं? हर बार जिस तरह इसकी सफ़ाई करने की समय-सीमा बढ़ाई जा रही है, ऐसे में यह सवाल लाज़िमी है। गंगा की सफ़ाई की समय-सीमा को एक बार फिर से संशोधित किया गया है।
देश के अधिकतर हिस्सों में पीने के लिए पर्याप्त पानी नहीं है। ज़मीन बंजर होती जा रही है। प्रदूषण के कारण साँस लेना दूभर होता जा रहा है। इस पूरे बदलाव से कई प्रजातियाँ ग़ायब हो गई हैं। तो क्या एक दिन हम अपना अस्तित्व भी खो देंगे?
गंगा के प्रदूषित होने और इसके पानी में एंटीबायोटिक के होने के ख़तरे को लेकर स्थानीय वैज्ञानिक और शोधकर्ता चेताते रहे हैं, लेकिन हाल ही में आई एक अंतरराष्ट्रीय शोध की रिपोर्ट से सबक़ लेने की ज़रूरत है।
ललित सहगल के नाटक ‘हत्या एक आकार की’ का 30 जनवरी को मंचन हुआ। उसी दिन ऐन शहीद दिवस को अलीगढ़ में कुछ हिन्दूसभाइयों ने गाँधी-हत्या को रिएनेक्ट किया। ऐसा क्यों?
लंबा जीना चाहते हैं तो स्वाद ही नहीं, खाने के मेन्यू का भी ध्यान रखें। लांसेट पत्रिका का कहना है कि संतुलित भोजन नहीं लेने से हर साल क़रीब 1.10 करोड़ लोगों की मौत समय से पहले हो जाती है।
हमारे ही समाज के बलात्कार बाँकुरों ने बलात्कार की ऐसी नयी प्रविधि खोज कर दिखा दी जो औरत की हत्या से कई गुणे दर्दनाक थी। क्या यह वही दुर्गा-काली वाला हमारा देश है?
प्रयागराज में जनवरी में लगने वाले कुंभ मेले की वजह से कई शादियाँ रुक सकती हैं क्योंकि प्रशासन ने मुख्य स्नाम पर्वों के आसपास के दिनों में शादीघरों में बुकिंग न करने की सलाह दी है।