भारत में लोकतंत्र का भविष्य खतरे में है। समीक्षक कृष्ण प्रताप सिंह ने संपादक अरुण कुमार त्रिपाठी की किताब के जरिए भारतीय लोकतंत्र की अंदरुनी बीमारियों की तरफ इशारा किया है।
इंसान और वन्य जीवों के बीच तालमेल को लेकर बनी ‘द एलीफ़ेंट व्हिसपरर्स’ को ऑस्कर अवॉर्ड मिलने के बाद क्या वन्य जीवन पर अब चर्चा होगी? क्या उन मुद्दों पर अब ध्यान जाएगा जो बेहद अहम हैं?
नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला हालांकि खत्म हो गया लेकिन किताबों की दुनिया आपको किसी मेले तक सीमित नहीं रखती है। इसलिए किताबें खूब पढ़ने की आदत डालिए। सच तो यह है कि अच्छी किताबें पढ़ना आपके व्यक्तित्व में चमत्कारिक बदलाव कर सकती हैं। यह लेख पढ़िए और उसके बाद किताबें पढ़ना शुरू करिए।
देश के जाने-माने हिन्दी पत्रकार हेमंत शर्मा होली के मूड में हैं। लेकिन होलियाना मूड में उन्होंने जो लिखा है वो सांस्कृतिक रूप से दरिद्र हो रहे समाज को चेताननी है। होली सिर्फ रंगों का त्यौहार नहीं है। इसे आपको समझना होगा। पढ़िए उनका यह शानदार आलेखः
भारत में जिस तेजी से अंधविश्वास बढ़ रहा है वो भारतीय समाज को मूढ़ और हताशा में बदल रहा है। लोग बिना मेहनत किए जादू टोने, झाड़ फूंक के जरिए सबकुछ पाना चाहता है। लेखक, पत्रकार तनवीर जाफरी ने ऐसे खतरों से आगाह करने की कोशिश की है।
फिजी में विश्व हिन्दी सम्मेलन आयोजित करके एक बार फिर औपचारिकता पूरी की जा रही है। वरिष्ठ पत्रकार प्रियदर्शन ने अपने देश में हिन्दी की दुर्दशा पर नजर डाली है।
क्या जो समाज बेटियों की शिक्षा पर जोर दे रहा है, उन्हें आगे बढ़ा रहा है, वही अनजाने में उन्हें नीचे की ओर भी खींच रहा है? शहरों में कामकाजी एकल महिलाओं के सामने आख़िर क़दम-क़दम पर मुश्किलें क्यों आ रही हैं?
चीन के सामने बुजुर्ग हो रही बड़ी आबादी का संकट है। पिछले कुछ वर्षों से जनसंख्या बढ़ाने के लिए चीन संघर्ष कर रहा है, लेकिन इसके बावजूद 60 साल में ऐसा पहली बार हुआ जो बेहद गहरे संकट को दिखाता है।