विपक्षी कांग्रेस ने आरोप लगाया कि पुष्कर सिंह धामी सरकार ने यूसीसी के कंटेंट का खुलासा नहीं किया है। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने विधानसभा के विशेष चार दिवसीय सत्र की पूर्व संध्या पर अध्यक्ष रितु खंडूरी द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक का बहिष्कार किया। विधानसभा सोमवार से शुरू हुई है।
विधानसभा में विपक्ष के नेता कांग्रेस के यशपाल आर्य ने आरोप लगाया कि यूसीसी के प्रावधानों को गुप्त रखा गया है। उन्होंने कहा- “हमें नहीं पता कि यूसीसी में क्या है। सरकार को सत्र से कुछ दिन पहले सभी विधायकों के बीच प्रस्तावित यूसीसी की प्रतियां वितरित करनी चाहिए थी ताकि हम इसका अध्ययन कर सकें और जान सकें कि विधानसभा में अपना पक्ष कैसे रखना है।”
सरकार ने प्रस्तावित यूसीसी का विवरण किसी के साथ साझा नहीं किया है, लेकिन काफी हद तक यह माना जाता है कि इसका उद्देश्य हिंदुओं और मुसलमानों के लिए विवाह, तलाक और विरासत की व्यवस्था को एक समान बनाना है। मुसलमान व्यक्तिगत मामलों में शरिया कानून का पालन करते हैं और अपने सामाजिक रीति-रिवाजों में किसी भी सरकारी हस्तक्षेप का विरोध करते हैं।
सूत्रों ने कहा- “चाहे उनका धर्म कुछ भी हो, तलाक के मामले में हिंदू और मुस्लिम पुरुषों और महिलाओं को समान अधिकार होंगे। हलाला और इद्दत की प्रथा पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।”
हलाला का नियम यह है कि अगर पति ने गुस्से में तीन तलाक कह दिया हो और उसे एहसास हो कि यह एक गलती थी तो तलाकशुदा महिला को अपने पूर्व पति के पास लौटने से पहले दोबारा किसी और से शादी करनी होगी। इद्दत एक अनिवार्य अवधि है, जिसमें एक महिला को तलाक के बाद या अपने पति की मृत्यु पर पुनर्विवाह का विकल्प चुनने से पहले अविवाहित रहना पड़ता है।
केंद्र ने एक बार में दिए जाने वाले तत्काल तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा दिया है और मुस्लिम महिला (विवाह अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम, 2019 का उल्लंघन करने वालों के लिए तीन साल की जेल की सजा और जुर्माना लगाया है।
यूसीसी का अंतिम मसौदा हाल ही में रिटायर्ड सुप्रीम कोर्ट जज रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता वाले पांच सदस्यीय पैनल ने मुख्यमंत्री धामी को सौंपा था।
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