बारिश ने इस बार पर्वतीय राज्य उत्तराखंड को गहरी चोट दी है। राज्य का कुमाऊं मंडल इस आपदा से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक़, इस प्राकृतिक आपदा के कारण राज्य में अब तक 77 लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन पर्वतीय इलाक़ों में रहने वाले लोगों का कहना है कि यह आंकड़ा कहीं ज़्यादा है। गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तराखंड पहुंचकर हालात का जायजा लिया था।
आपदा से प्रभावित हुए लोगों के आंसू नहीं रुक रहे हैं। बहुत सारे लोगों ने अपनों को खोया तो कई लोगों के घर, दुकान आपदा की भेंट चढ़ गए।
इस बीच, ट्रैकिंग पर गए कई लोगों के शव मिले हैं और कई लोगों की तलाश जारी है। उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने एएनआई को बताया कि ट्रैकिंग पर गए सात लोगों के शव मिल चुके हैं। दो को बचाया गया है और दो लोग लापता हैं। इसके अलावा एक और दूसरे ग्रुप के 5 ट्रैकर्स का शव मिला है। इस तरह अब तक कुल 12 ट्रैकर्स के शव मिल चुके हैं।
नैनीताल जिले में जिस तरह भयंकर बारिश के बाद नैनी झील का पानी निकलकर सड़कों और आस-पास की दुकानों और घरों में घुस गया था, उसने लोगों को खौफ़ से भर दिया। नैनीताल जिले में बादल फटने, कई जगहों पर पहाड़ दरकने की भी घटनाएं हुई हैं।
कई सड़कें अभी भी बंद
नैनीताल के अलावा अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ जिले में भी कई जगहों पर भयंकर बारिश की वजह से पहाड़ों का मलबा सड़कों पर आ गया। प्रशासन लगातार सड़कों को खोलने की कोशिश कर रहा है। लेकिन अभी भी कुमाऊं मंडल में कई जगहों पर सड़कें पूरी तरह बंद हैं और इस वजह से मैदानी इलाक़ों से वहां जाने वाला दूध, सब्जी, फल, दवाएं आदि ज़रूरी सामान नहीं पहुंच पा रहा है। सड़कें टूटने के अलावा कई जगहों पर छोटे पुल बह गए हैं।
हालांकि अब बारिश काफ़ी कम हो रही है लेकिन इस आपदा ने जो जख़्म दिए हैं, उन्हें भरने में काफ़ी वक़्त लगेगा।
7 हज़ार करोड़ का नुक़सान
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि बारिश की वजह से राज्य को 7 हज़ार करोड़ का नुक़सान पहुंचा है। धामी बारिश से बुरी तरह प्रभावित हुए चमोली जिले के डुंगरी गांव में प्रभावितों से मिले और चंपावत जिले में भी पीड़ितों के पास पहुंचे।
विभागीय आयुक्त सुशील कुमार ने पीटीआई को बताया कि लगातार तीन दिन तक हुई जबरदस्त बारिश की वजह से कुमाऊं में 2 हज़ार करोड़ रुपये का नुक़सान हुआ है।
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