जिस ज़िका वायरस के मामले इस साल सबसे पहले केरल में आए थे उसके मामले अब उत्तर प्रदेश के कानपुर में क़रीब 90 तक पहुँच गए हैं। कानपुर के स्वास्थ्य विभाग ने सोमवार को कहा कि शहर में 17 बच्चों सहित कम से कम 89 लोगों में ज़ीका वायरस की पुष्टि हुई है।
यह वायरस एडीज प्रजाति के मच्छरों से फैलता है। हालाँकि, यह जानलेवा नहीं है, लेकिन इसके कई घातक असर हो सकते हैं। ज़ीका वायरस प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिकाओं पर हमला करता है। गर्भवती महिलाओं में संक्रमण विकासशील भ्रूण को गंभीर रूप से नुक़सान पहुँचा सकता है और इससे जन्मजात विसंगतियाँ हो सकती हैं। चिंता की बात यह भी है कि वर्तमान में ज़ीका वायरस के लिए कोई टीका या इलाज नहीं है।
ज़ीका वायरस के मामले 2015 में ब्राजील में तब चिंता के कारण बने थे जब इसके मामले महामारी के रूप में आए थे। ब्राज़ील में तब हजारों बच्चे माइक्रोसेफली के साथ पैदा हुए थे। यह एक ऐसा विकार है जिसके कारण बच्चे असामान्य रूप से छोटे सिर और अविकसित दिमाग के साथ पैदा होते हैं। इसी कारण इस वायरस से गर्भवती महिला के संक्रमित होने पर इसका असर बेहद घातक होता है।
उत्तर प्रदेश के कानपुर में ज़ीका वायरस के मामले इतनी ज़्यादा संख्या में आने के बाद स्वास्थ्य महकमे के सामने कड़ी चुनौती है। ज़िले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. नेपाल सिंह ने रॉयटर्स को बताया, 'ज़ीका वायरस के मामलों में वृद्धि हुई है और स्वास्थ्य विभाग ने इसको फैलने से रोकने के लिए कई टीमों का गठन किया है।' रिपोर्ट के अनुसार एक महिला गर्भवती है और उस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
कानपुर में ज़ीका वायरस का पहला मामला 23 अक्टूबर को सामने आया था और पिछले एक सप्ताह में मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है।
इससे पहले जुलाई महीने में इस साल पहली बार केरल में ज़ीका वायरस के संक्रमण का मामला सामने आया था। तब एक महिला में ज़ीका वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई थी और फिर बाद में बड़ी संख्या में लोग इससे संक्रमित पाए गए थे।
तब कहा गया था कि केरल के जंगल ज़ीका वायरस के लिए ज़िम्मेदार एडीज मच्छरों के लिए अनुकूल माहौल पैदा करते हैं। एडीज मच्छर, जो डेंगू के वाहक भी हैं, ठहरे हुए मीठे पानी में प्रजनन करते हैं और ज़्यादातर घर के अंदर रहते हैं।
केरल में यह वह वक़्त था जब वहाँ कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे थे और राज्य में हर रोज़ 11 हज़ार से लेकर 13 हज़ार के बीच कोरोना संक्रमण के मामले आ रहे थे।
बता दें कि ज़ीका वायरस को सबसे पहले 1947 में युगांडा के ज़ीका जंगल में पाया गया था। जीका वायरस से संक्रमित होने के लक्षण डेंगू जैसे ही होते हैं जैसे बुखार आना, शरीर पर चकत्ते पड़ना, मांसपेशियों व जोड़ों में दर्द होना, सिरदर्द, मतली, उल्टी और सामान्य तौर पर अस्वस्थ्य महसूस करना शामिल है।
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