योगी आदित्यनाथ के
नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश
के सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किया है कि 22 मार्च से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्र और राम नवमी उत्सव के
नौ दिनों में देवी दुर्गा के मंदिरों और शक्तिपीठों में भव्य धार्मिक और सांस्कृतिक
कार्यक्रम आयोजित करें।
संस्कृति विभाग द्वारा 10
मार्च जारी किए गये नौ सूत्रीय निर्देशों में
सभी कमिश्नरों और जिलाधिकारियों को सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के बारे में
निर्देश दिया गया है। जिला अधिकारियों को इस संबंध में 21 मार्च तक सभी तैयारियां पूरी करने के निर्देश दिए गये हैं।
आयोजन के लिए चयनित
मंदिरों की जीपीएस लोकेशन, पता, फोटो और मंदिर प्रबंधन समिति का संपर्क भी मांगा
गया है। प्रशासनिक स्तर पर समन्वय के लिए राज्य स्तर पर दो नोडल अधिकारी भी नियुक्ति
किए गये हैं।
जारी निर्देशों में कहा
गया है कि मंदिरों और शक्तिपीठों में दुर्गा शतशती, देवी गान और देवी जागरण और झांकियों का आयोजन किया जाना है।
सरकार इन कार्यक्रमों में
महिलाओं और लड़कियों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए एक विशेष अभियान भी चलाएगी।
आयोजन का विवरण और तस्वीरें संस्कृति विभाग की वेबसाइट पर भी अपलोड की जाएंगी।
29 और 30 मार्च को अष्टमी और नवमी के दिन प्रमुख
शक्तिपीठों में 'अखंड रामायण'
का पाठ किया जाएगा जिसमें 'मानवीय मूल्यों, सामाजिक मूल्यों और राष्ट्रीय मूल्यों' के प्रचार-प्रसार के लिए कार्यक्रम आयोजित किए
जाएंगे। इन आयोजनों के लिए प्रत्येक विकास खंड, तहसील और जिला स्तर पर एक आयोजन समिति का गठन किया जाएगा।
प्रदेश के हर जिले में डीएम
की अध्यक्षता में एक समिति धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को प्रस्तुत करने
वाले कलाकारों का चयन करेगी। इन आयोजनों में जन-प्रतिनिधियों के साथ जन-भागीदारी
भी सुनिश्चित की जाएगी है। संस्कृति विभाग प्रत्येक जिला प्रशासन को कलाकारों को
मानदेय देने के लिए 1 लाख रुपये आवंटित
करेगा। बाकी के खर्चों को जिला
प्रशासन अपने स्तर पर पूरा करेगा। सरकार की तरफ से कहा है कि शक्तिपीठों और
मंदिरों को विकसित करने के लिए किए गए कार्यों को बढ़ावा देने के लिए मंदिर परिसर
में होर्डिंग भी लगाए जाने चाहिए।
संस्कृति विभाग के मुख्य
सचिव मुकेश कुमार मेश्राम ने कहा कि मंदिरों में इस तरह के समारोह पहले भी आयोजित
किए गए थे। उन्होंने तो नवरात्रि से पहले जिला प्रशासन को याद दिलाने के लिए केवल
एक स्मारक जारी किया था। मेश्राम ने कहा कि जिला प्रशासन को निर्देशित किया गया है
कि वे नौ दिनों के दौरान मंदिर परिसर में की जाने वाली व्यवस्थाओं के संबंध में
मंदिर समितियों के साथ समन्वय करें। इस तरह के कार्यक्रमों का उद्देश्य युवाओं में
सांस्कृतिक और धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना है।
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