'कमजोर हैं सीएम योगी'
अखिलेश यादव ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा है कि इस मामले में यूपी सरकार केवल तथ्यों को छिपाने में जुटी है और ऊर्जा जैसे अहम विभाग ख़राब हालात का सामना कर रहे हैं। यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी इतने कमजोर हैं कि चाहने के बावजूद भी वह अपनी सरकार के ऊर्जा मंत्री को नहीं हटा सके। उन्होंने कहा कि एफ़आईआर की कॉपी में साफ़ लिखा है कि जब डीएचएफ़एल के खाते में पैसा ट्रांसफ़र किया गया तब सत्ता में एसपी नहीं थी। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि एसपी के शासन में राज्य में एसपी की सरकार के दौरान डीएचएफ़एल को एक भी पैसा नहीं दिया गया।
पूर्व मुख्यमंत्री ने सीधे योगी आदित्यनाथ पर हमला बोलते हुए कहा कि अगर इस घोटाले के लिये कोई जिम्मेदार है तो वह स्वयं मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने इस मामले की हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट के जज से जाँच कराने की माँग की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को तुरंत अपने पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए।
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अखिलेश यादव ने क़ानून व्यवस्था के मुद्दे पर भी योगी सरकार को घेरा और कहा कि यूपी बेहद ख़राब दौर से गुजर रहा है और यहाँ राम राज्य नहीं नाथू राम राज्य चल रहा है, जहाँ कहीं भी किसी को भी मारा जा सकता है।
'मिश्रा से रिश्ता बतायें अखिलेश'
इससे पहले मंगलवार को योगी आदित्यनाथ के कार्यालय की ओर से अखिलेश यादव को घेरने की कोशिश की गई थी। मुख्यमंत्री कार्यालय की ओर से कहा गया था कि जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत मुख्यमंत्री के भ्रष्टाचार पर प्रहार करने के बाद भ्रष्ट लोग शोर मचा रहे हैं। यह भी कहा गया कि अखिलेश यादव के चहेते और यूपीपीसीएल के तत्कालीन एमडी एपी मिश्रा को यादव की सरकार में तीन बार एक्सटेंशन दिया गया। एपी मिश्रा को आर्थिक अपराध शाखा की ओर से इस मामले में पूछताछ के लिये हिरासत में लिया गया है। मुख्यमंत्री के कार्यालय की ओर से कहा गया कि अखिलेश यादव को यह बताना चाहिए कि उनका मिश्रा से क्या रिश्ता है।
योगी सरकार ने दावा किया था कि डीएचएफ़एल में पीएफ़ के पैसे को निवेश करने का फ़ैसला अखिलेश यादव की सरकार ने अप्रैल, 2014 में लिया था और 2016 में निवेश की प्रक्रिया को जारी रखा गया था।
इससे पहले कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने इस मामले में योगी सरकार को निशाने पर लिया था। प्रियंका ने ट्वीट कर कहा था, ‘बीजेपी सरकार बनने के बाद 24 मार्च 2017 को पॉवर कॉरर्पोरेशन के कर्मियों का पैसा डिफ़ॉल्टर कम्पनी डीएचएफ़एल में लगा और बीजेपी सरकार दो साल तक चुप क्यों बैठी रही? कर्मचारियों को ये बताइए कि उनकी गाढ़ी कमाई कैसे मिलेगी?’ प्रियंका ने हमलावर होते हुए कहा था कि और किन-किन विभागों का पैसा डिफ़ॉल्टर कम्पनियों में लगा है? सारी चीजें अभी सामने लाइए।
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शर्मा और अजय लल्लू आमने-सामने
उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा पर आरोप लगाते हुए उनसे इस मामले में जवाब माँगा है। लल्लू ने कहा है कि ऊर्जा मंत्री उनके सवालों के जवाब क्यों नहीं देते, दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। लल्लू ने कहा कि प्रदेश सूबे की जनता बीजेपी के भ्रष्टाचार को देख रही है। यूपी कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि ऊर्जा मंत्री को अपने पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए। इसके जवाब में श्रीकांत शर्मा ने कहा अजय लल्लू के सारे आरोप गलत हैं। मंत्री ने कहा कि या तो लल्लू माफ़ी माँगें, वरना वह उनके ख़िलाफ़ मानहानि का मुक़दमा ठोकेंगे।
अब जब यह मामला काफ़ी गंभीर हो गया है तो लीपापोती करते हुए योगी सरकार ने बिजली कर्मचारियों का पीएफ़ प्रंबधन करने वाले यूपी पावर सेक्टर इम्प्लॉईज ट्रस्ट के महाप्रबंधक पीके गुप्ता को निलंबित कर मामले की सतर्कता जांच के आदेश दिए हैं। साथ ही कंपनी में पैसा निवेश कराने के आरोप में तत्कालीन वित्त निदेशक सुधांशु द्विवेदी और महानिदेशक पीके गुप्ता के ख़िलाफ़ लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में एफ़आईआर दर्ज कराई गई है।
कर्मचारी बोले, सीबीआई जाँच हो
प्रदेश की ऊर्जा कंपनियों के हजारों कर्मचारियों के भविष्य निधि की रकम फंस जाने के बाद कर्मचारियों में ख़ासा ग़ुस्सा है। कर्मचारी नेताओं का कहना है कि प्रदेश सरकार विवादित कंपनी में पैसा लगाने वाले अधिकारियों पर कड़ी कारवाई करे और कर्मचारियों के पीएफ़ का पैसा सुरक्षित सरकारी बैंकों में जमा करे। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से माँग की है कि उप्र पावर सेक्टर इम्प्लॉयर्स ट्रस्ट में हुए अरबों रुपये के घोटाले की निष्पक्ष जाँच हेतु सारे प्रकरण की सीबीआई से जाँच कराई जाये और घोटाले में दोषी पावर कॉर्पोरेशन प्रबंधन के आला अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई की जाये।
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