हाथरस में दलित महिला के साथ कथित बलात्कार और हत्या से उपजे राजनीतिक विवाद और सरगर्मी के बीच प्रशासन शायद डैमेज कंट्रोल में लग गया है। इसे इससे समझा जा सकता है कि मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी और पुलिस महानिदेशक ने शनिवार को पीड़िता के परिजनों से मुलाक़ात की है।
समझा जाता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर अवनीश अवस्थी और डीजीपी हितेश चंद्र अवस्थी ने ऐसा किया है।
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याद दिला दें कि कुछ दिन पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने हाथरस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार के आला अफ़सरों को तलब किया था। अदालत ने जिन अधिकारियों को नोटिस भेजा था, उनमें यूपी के डीजीपी, एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) हाथरस के ज़िला मजिस्ट्रेट और पुलिस सुपरिटेंडेंट शामिल हैं।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच ने सभी अधिकारियों से 12 अक्टूबर को पेश होने के लिए कहा है। अदालत ने कहा कि 'हमारे समक्ष मामला आया जिसके बारे में हमने संज्ञान लिया है यह केस सार्वजनिक महत्व और सार्वजनिक हित का है क्योंकि इसमें राज्य के उच्च अधिकारियों पर आरोप शामिल है।'
याद दिला दें कि इस कांड की जाँच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने पहली रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी दी है। इस रिपोर्ट के बाद यूपी सरकार ने हाथरस के एसपी व चार अन्य पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। मुख्यमंत्री योगी ने एसपी समेत चार पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे।
यह डैमेज कंट्रोल इसलिए ज़रूरी हो गया है कि सरकार की काफी फ़जीहत हुई है। पुलिस और प्रशासन ने हाथरस में पीड़िता के परिजनों को दो दिनों तक घेरेबंदी में रखा, उनसे मिलने की किसी को नहीं जाने दिया, उनकी निगरानी रखी।
इससे बड़ी चिंता की बात यह है कि पुलिस -प्रशासन के अफ़सर पीड़िता के परिजनों के साथ बेहद बदतमीजी से पेश आए, उन्हें डराया-धमकाया। यहां तक कि उनके साथ मारपीट तक के आरोप लग रहे हैं।
काफी जद्दोजहद के बाद सरकार ने शनिवार को पत्रकारों को पीड़िता के गाँव जाने दिया। सवाल यह है कि अब तक सरकार ने उस गाँव की घेराबंदी क्यो कर दी, डैमेज कंट्रोल इसलिए भी ज़रूरी है। समाचार चैनल आज तक ने एक ख़बर में कहा है कि पीड़िता के परिवार ने बताया कि ज़िला मजिस्ट्रेट ने उनसे अभद्रता से बात की। पीड़िता की भाभी ने कहा, 'डीएम ने कहा कि अगर तुम्हारी बेटी की कोरोना से मौत हो जाती तो तुम्हें मुआवजा मिल जाता।' पीड़िता के परिवार ने कहा कि एसआईटी लेगों ने उसने ही पूछताछ की है, उन्हें उन पर भरोसा नहीं है।
प्रशासन पर यह आरोप लगा है कि वे अभी भी पीड़िता के परिजनों को डरा रहे हैं। सरकार इस छवि को भी ठीक करना चाहती है। इसलिए भी यह ज़रूरी हो गया था कि आला अफ़सर जाकर परिजनों से मिलें ताकि सकारात्मक संकेत जाए।
सके पहले भी विडियो सोशल मीडिया पर चल चुका है, जिसमें ज़िला मजिस्ट्रेट बयान बदलने के लिए परिवार पर दबाव डाल रहे हैं। इस वीडियो में ज़िला मजिस्ट्रेट प्रवीण कुमार लक्सकर कहते हुए सुने जाते हैं, 'अपनी विश्वसनीयता ख़त्म मत कीजिए। ये मीडिया के लोग..कुछ आज चले गए, कुछ कल चले जाएंगे। सिर्फ हम आपके साथ रहेंगे। यह आप पर निर्भर है कि आप बयान बदलें या नहीं। कल हम भी बदल सकते हैं।'
खबर यह भी है कि पुलिस स्थानीय बीजेपी नेताओं की इस थ्योरी पर काम कर रहे हैं कि यह ऑनर किलिंग का मामला है और परिवार के लोगों ने ही पीड़िता को मार डाला है।
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