लोकसभा चुनाव से पहले शनिवार 23 दिसंबर को कांग्रेस पार्टी ने विभिन्न राज्यों के प्रभारियों को बदल दिया है। कांग्रेस संगठन में हुए इस भारी फेरबदल के बीच जो बदलाव चर्चा में है वह कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश के प्रभारी पद से हटाना है।
शनिवार को पार्टी की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है कि प्रियंका गांधी अभी कांग्रेस महासचिव बनी रहेंगी लेकिन अभी उन्हें कोई पोर्टफोलियो नहीं दिया गया है। प्रियंका गांधी की जगह कांग्रेस ने महासचिव अविनाश पांडेय को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया है।
करीब 5 वर्ष पहले 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस ने प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देते हुए पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया था।
बाद के दिनों में पार्टी ने उन्हें पूरे उत्तर प्रदेश का प्रभारी महासचिव बनाया था। आबादी और लोकसभा सीटों के लिहाज से उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। ऐसे में प्रियंका गांधी के लिए यह बेहद महत्वपूर्ण जिम्मेदारी थी।
अब सवाल उठता है कि कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश से प्रियंका गांधी को क्यों हटाया है? कांग्रेस ने 5 वर्ष पहले जिस प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश में जोरशोर से उतारा था अब उन्हें वहां से हटाने के पीछे क्या कारण हो सकता है?
कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने आखिर किस रणनीति के तहत उन्हें उत्तर प्रदेश से हटाया है इसको लेकर राजनैतिक विश्लेषकों के बीच चर्चा का बाजार गर्म हो चुका है।
राजनैतिक विश्लेषकों के मुताबिक कांग्रेस ने जब प्रियंका को उत्तर प्रदेश में उतारा था तब उसे उम्मीद थी कि प्रियंका यहां पार्टी के लिए बड़ी गेम चेंजर साबित होंगी। पार्टी के उत्तर प्रदेश संगठन में उनके आने के बाद से कोई बड़ी मजबूती अब तक दिख नहीं रही थी।
कांग्रेस अब भी उत्तर प्रदेश में हाशिये पर खड़ी है। कांग्रेस अभी भाजपा से मुकाबले में कहीं दूर-दूर तक टिकती नजर नहीं आ रही है। पिछले 5 वर्ष में कांग्रेस के उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन की बात करें तो पार्टी की स्थिति अच्छी नहीं रही है।
कई राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि कुछ महीने पहले पार्टी ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष को बदल दिया था। इस बदलाव के समय से ही माना जा रहा था कि उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी से भी प्रभारी की जिम्मेदारी वापस ली जा सकती है।
लोकसभा चुनाव से पहले हुए इस बड़े बदलाव की भूमिका तब तैयार हो गई थी जब कांग्रेस पार्टी ने अजय राय को उत्तर प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया था। अजय राय उत्तर प्रदेश कांग्रेस में कद्दावर नेता हैं।
उन्होंने बृजलाल खाबरी की जगह ली थी, जिन्हें उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद और स्थानीय निकाय चुनाव से पहले प्रदेश में कांग्रेस की बागडोर सौंपी गई थी।
बृजलाल खाबरी प्रियंका गांधी के खेमे के माने जाते थे। उन्हें हटाकर जब अजय राय को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया तब ही माना गया था कि अब यूपी कांग्रेस में प्रियंका गांधी का दबदबा कुछ कमजोर होगा।
राजनैतिक विश्लेषकों ने तभी अनुमान लगाया था कि अजय राय के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद उत्तर प्रदेश की राजनीति में प्रियंका गांधी का प्रभाव कम होगा और उनकी नियुक्ति पार्टी में बड़े बदलावों की भूमिका हो सकती है।
विधानसभा चुनावों में सिर्फ 2 सीटें मिली थी कांग्रेस को
उत्तर प्रदेश में हुए 2022 के विधानसभा चुनाव में प्रियंका गांधी ने जोर-शोर से प्रचार अभियान चलाया था। वह पार्टी की महासचिव और पूरे उत्तर प्रदेश की प्रभारी थी। सारी कोशिशों के बावजूद वह कांग्रेस को उत्तर प्रदेश में सिर्फ 2 सीटों पर ही जीत दिला सकी। इस हार की समीक्षा हुई तब प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने हार की जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। विधानसभा चुनाव में हार के बाद से प्रियंका उत्तर प्रदेश की राजनीति से दूर होती गई। इससे पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में भी वह कोई कमाल नहीं दिखा सकी थी।
विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में पार्टी का अध्यक्ष प्रियंका गांधी के करीबी माने जाने वाले बृजलाल खाबरी को बनाया था। खाबरी जब तक पद पर रहे उत्तर प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में प्रियंका का दबदबा बना रहा लेकिन 10 महीनों बाद ही पार्टी ने खाबरी को हटाकर अगस्त 2023 में अजय राय को प्रदेश अध्यक्ष बना दिया। पार्टी के इस फैसले के साथ ही मान लिया गया था कि प्रियंका गांधी और उनकी टीम की उत्तर प्रदेश की राजनीति से विदाई अब तय है।
अजय राय हैं कांग्रेस के मजबूत प्रदेश अध्यक्ष
सूत्र बताते हैं कि अजय राय उत्तर प्रदेश कांग्रेस के एक मजबूत अध्यक्ष के तौर पर जाने जाते हैं। वह पहले के अध्यक्षों के मुकाबले ज्यादा आजादी से पार्टी संगठन से जुड़े फैसले लेना पसंद करते हैं। उनकी नियुक्ति से पहले कई बड़े और कद्दावर नेताओं ने सिर्फ इसलिए पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनने से इंकार कर दिया था क्योंकि उन्हें लगता था कि इस पद पर रहने के बावजूद उन्हें प्रियंका गांधी के कारण अपना फैसला लेने की छूट नहीं मिलेगी।
ऐसे में पार्टी का शीर्ष नेतृत्व अब संदेश देना चाहता है कि वह प्रियंका गांधी को हटाकर अजय राय को उत्तर प्रदेश कांग्रेस संगठन से जुड़े फैसले लेने की पूरी आजादी दे रहा है। उनके उपर वह किसी तरह का कोई दबाव नहीं रखना चाहता है। शीर्ष नेतृत्व को लगता है कि जनता के बीच यह संदेश देने से पार्टी को फायदा होगा।
सूत्रों का दावा है कि पार्टी आलाकमान को लगता है कि अजय राय पर किसी तरह का दबाव बनाने की कोशिश किसी अप्रिय स्थिति को उत्पन्न कर सकती है। कांग्रेस हर हाल में 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इस तरह के किसी टकराव से बचना चाहती है। यही कारण है कि प्रियंका को उत्तर प्रदेश से हटा लिया गया है। पार्टी की यह भी रणनीति है कि उत्तर प्रदेश में अजय राय को एक मजबूत नेता के तौैर पर उभारा जा सके।
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