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फ़ाइल फोटो

हाथरस: आगरा, फिरोज़ाबाद में वाल्मीकि समुदाय-पुलिस के बीच भिड़ंत, पत्थरबाज़ी

हाथरस में दलित युवती के साथ हुई हैवानियत से नाराज वाल्मीकि समुदाय के लोगों ने शनिवार को उग्र प्रदर्शन किया। इस दौरान उनकी आगरा और फिरोज़ाबाद में पुलिस से भिड़ंत हो गई। इसके अलावा भी देश के कई शहरों में वाल्मीकि समुदाय के लोग सड़कों पर हैं और उन्होंने सफाई कार्य का बहिष्कार किया हुआ है। इससे कोरोना काल में सफाई व्यवस्था को लेकर चिंता बनी हुई है। 

आगरा में इस घटना के विरोध में वाल्मीकि समुदाय के लोगों ने योगी सरकार के ख़िलाफ़ जोरदार प्रदर्शन किया। नगर निगम का सफाई का काम ठप करके बैठे इस समुदाय के कुछ कर्मचारी शनिवार से काम शुरू करना चाहते थे जबकि कुछ इसके विरोध में थे। 

योगी सरकार और पुलिस पर दलित युवती के मामले में ग़ैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए प्रदर्शन के दौरान ही इन लोगों ने पथराव शुरू कर दिया। अचानक शुरू हुए पथराव के बाद पुलिस एक्टिव मोड में आई और उपद्रवियों को दौड़ाना शुरू किया। पुलिस ने लाउड स्पीकर के जरिये भी उपद्रवियों को ऐसी हरकतों से बाज आने की चेतावनी दी। पथराव की यह घटना राजगनर कॉलोनी और लोहा मंडी के इलाक़े में हुई। बताया गया है कि इसके बाद जवाब में पुलिस ने भी पत्थरबाजी की। 

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पथराव की सूचना मिलने पर डीएम प्रभु एन सिंह, एसएसपी बबलू कुमार मौक़े पर पहुंचे और हालात को संभालने की कोशिश की। पथराव की घटना में कई लोग घायल हो गए हैं। 

इस घटना के बाद आगरा के वाल्मीकि समुदाय में तनाव फैल गया और उन्होंने कई जगहों पर इकट्ठा होकर प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। पथराव की घटना के बाद हरक़त में आए नगर निगम प्रशासन ने 5 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया। प्रशासन ने पथराव में शामिल 17 लोगों की पहचान की है। 

इसी तरह फिरोज़ाबाद में युवा वाल्मीकि फ़ोर्स के अध्यक्ष अनुराग चौहान के नेतृत्व में जोरदार प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शन के दौरान समुदाय के लोगों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का पुतला फूंकने की कोशिश की लेकिन इस दौरान उनकी पुलिस से जोरदार झड़प हुई। इसी दौरान एक युवक ने आत्मदाह की कोशिश की। समाज के लोग नगर निगम के आगे धरने पर बैठ गए और युवती को न्याय न मिलने तक आंदोलन जारी रखने का एलान किया। 

एटा में भी वाल्मीकि समाज के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं। शनिवार को नगर पालिका के सफाई कर्मचारियों ने सभी विभागों को बंद करा दिया और दो दिन की हड़ताल पर जाने का एलान किया। उत्तर प्रदेश में कुछ अन्य जगहों से भी वाल्मीकि समाज के लोगों के द्वारा प्रदर्शन किए जाने की ख़बर है। 

हाथरस की घटना को लेकर देखिए, वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी. सिंह का विश्लेषण। 

सीबीआई जांच की सिफारिश

लगातार प्रदर्शनों के कारण दबाव में आए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी है। इससे पहले उन्हें अपने अफ़सरों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी पड़ी थी और जिले के एसपी-डीएसपी और पुलिस विभाग के कुछ अन्य कर्मचारियों को निलंबित कर दिया था। निलंबित होने वालों में एसपी विक्रांत वीर, डीएसपी राम शब्द, इंस्पेक्टर दिनेश वर्मा, एसआई जगवीर सिंह और हेड कांस्टेबल महेश पाल का नाम शामिल है। सरकार ने कहा है कि पीड़िता के परिजनों सहित इन सभी का नार्को पॉलिग्राफ़ टेस्ट कराया जाएगा। 

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पुलिसिया तानाशाही चरम पर 

पुलिस ने 14 सितंबर को उस दलित युवती के साथ हुए सामूहिक बलात्कार को मानने से मना कर दिया है। अपनी सरकारी रिपोर्ट में उसने अभियुक्तों की पिटाई के कारण लकवाग्रस्त हो चुकी दलित युवती को लगी चोटों का जिक्र नहीं किया। रात में सफदरजंग से शव को हाथरस पहुंचा दिया, परिजनों की लाख मनुहार के बाद उनकी बेटी का चेहरा उन्हें नहीं देखने दिया और युवती का दाह संस्कार कर दिया। 

इसके अलावा पत्रकारों से बदतमीजी की गई, पीड़िता के घरवालों पर दबाव बनाया जा रहा है और आरोप है कि सबूतों को मिटाने की कोशिश की गई। पत्रकारों के अलावा, राहुल और प्रियंका गांधी को, टीएमसी सांसदों को जिस तरह पुलिस ने धक्का-मुक्की कर रोका, उससे योगी सरकार सवालों के घेरे में है। कहा जा रहा है कि पीड़िता के पक्ष में उठने वाली हर उस आवाज़ को कुचलने की कोशिश की जा रही है, जिससे उसे इंसाफ़ मिल सके।

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क़मर वहीद नक़वी
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