पूर्णिमा दास
बीजेपी - जमशेदपुर पूर्व
जीत
पूर्णिमा दास
बीजेपी - जमशेदपुर पूर्व
जीत
गीता कोड़ा
बीजेपी - जगन्नाथपुर
हार
नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ देश भर में सबसे ज़्यादा विरोध-प्रदर्शन उत्तर प्रदेश में ही हुए हैं। हिंसक विरोध प्रदर्शनों के दौरान राज्य में 16 लोगों की मौत भी हो गई है। इस दौरान लखनऊ, मेरठ, बिजनौर सहित कई जगहों पर उपद्रवियों ने कई वाहनों को आग भी लगा दी। इस वजह से कई दिन तक इंटरनेट भी बंद करना पड़ा। सोशल मीडिया से लेकर चौक-चौराहों तक सभी ने कहा कि प्रदर्शन करना हर भारतीय का संवैधानिक अधिकार है लेकिन हिंसा को जायज नहीं ठहराया जा सकता।
हिंसक प्रदर्शनों के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सामने आए और उन्होंने कहा कि सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुक़सान की भरपाई उपद्रवियों से की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुक़सान का ‘बदला’ लिया जाएगा। मुख्यमंत्री के इस बयान के बाद यह माना गया कि पुलिस उपद्रवियों के ख़िलाफ़ सख्ती बरतेगी। लेकिन ‘बदला’ लेने के नाम पर पुलिस निर्दोष लोगों के घरों में घुस जाएगी और वहां बुजुर्गों, महिलाओं के साथ मारपीट करेगी, इसकी लोकतांत्रिक व्यवस्था में किसी को उम्मीद नहीं थी। लेकिन ऐसा हुआ है और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फरनगर में पुलिस ने मुसलिम समुदाय के कई घरों में तोड़फोड़ की है।
अंग्रेजी न्यूज़ चैनल एनडीटीवी पर चली एक ख़बर में मुज़फ़्फरनगर के खालापार इलाक़े में चैनल के संवाददाता ने ऐसे पीड़ित परिवारों से बात की है, जिनके घरों में स्थानीय पुलिस ने तोड़फोड़ की है। 72 साल के एक बुजुर्ग बताते हैं कि उन्हें पुलिस ने बहुत पीटा और इससे उनके पांवों में सूजन आ गई है। एक महिला बताती है कि पुलिस ने लोहे का डंडा उनके सिर में मारा, इससे उनके सिर में 6 टांके आए हैं।
मुज़फ़्फरनगर के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई अन्य शहरों से ऐसी ख़बरें आ रही हैं कि यूपी पुलिस ‘बदला’ लेने के नाम पर जुल्म ढाने पर आमादा है। बिजनौर और आसपास के इलाक़ों में पुलिस ने मुसलिम समुदाय के घरों में घुसकर आतंक मचाया है।
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