इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस की हिरासत के दौरान अतीक की सुरक्षा की मांग वाली याचिका को भी खारिज कर दिया। पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, जस्टिस अजय रस्तोगी और बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने अतीक की सुरक्षा के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट जाने की स्वतंत्रता प्रदान की।
अतीक अहमद पर अक्टूबर 2022 में राजू पाल की हत्या का आरोप तय हुआ था। उसके बाद गवाहों के बयान होने थे। इसमें उमेश पाल की गवाही सबसे अहम थी। उमेश पाल इन दिनों बीजेपी में था। बहरहाल, यूपी पुलिस और केंद्रीय एजेंसियां लंबे समय से जेल में बंद बाहुबली नेता अतीक अहमद पर कार्रवाई कर रही है। पिछले दिनों यूपी सरकार ने अतीक की 123 संपत्तियों को कुर्क करने का दावा किया था।
कौन है अतीक अहमद
2004-09 में अतीक को यूपी के फूलपुर से सपा सांसद के रूप में चुना गया। 1999-2003 तक वह अपना दल के अध्यक्ष थे। उनके खिलाफ हत्या का पहला सीधा आरोप बीएसपी विधायक राजू पाल के मामले में लगा। राजू पाल ने 2004 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में अतीक के भाई अशरफ को हराया था। 8 अगस्त, 2002 को अतीक अहमद तत्कालीन विधायक थे और तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती के साथ राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के कारण जेल में थे। अदालत में पेशी के दौरान, उन्हें एक बम हमले का सामना करना पड़ा लेकिन वह बच गए। 2014 में, उन्हें सपा में वापस ले लिया गया और श्रावस्ती से आम चुनाव लड़ा। वह भाजपा से हार गए।14 दिसंबर 2016 को, अतीक और उसके गुर्गों ने कथित रूप से दो छात्रों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सैम हिगिनबॉटम कृषि, प्रौद्योगिकी और विज्ञान विश्वविद्यालय के कर्मचारियों के साथ मारपीट की। यह वीडियो वायरल हुआ था।
अतीक अहमद हाई कोर्ट के आदेश के बाद अपने गृह जनपद की जगह देवरिया जेल में निरुद्ध था। दिसंबर 2018 में एक व्यापारी को लखनऊ से अपहृत कर देवरिया जेल लाकर फ़िरौती के लिये उसके द्वारा डंडों से पीटे जाने की ख़बर वायरल होने पर योगी सरकार को कुछ महीने पहले ही उसे बरेली जेल भेजना पड़ा था। अतीक अहमद फूलपुर उपचुनाव में बीजेपी के काम आया था जहाँ वह निर्दलीय प्रत्याशी बनकर वोट काटने खड़ा हो गया था और इसे क़रीब 50 हज़ार वोट मिले थे। हालाँकि, इस कसरत के बावजूद बीजेपी वह चुनाव हार गई थी।
प्रयागराज निवासी अतीक अहमद पाँच बार विधायक रह चुका है। 15 दिसंबर 2016 को प्रयागराज की एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी में हमले और तोड़फोड़ के मामले में उसे गिरफ़्तार किया गया था। इलाहाबाद हाईकोर्ट के हस्तक्षेप करने पर ही क़रीब दो महीने बाद उसे गिरफ़्तार किया जा सका था। उस पर बीएसपी विधायक राजू पाल, उमेश समेत कई लोगों की हत्या, अपहरण, हत्या की कोशिश, फ़िरौती वसूलने और मारपीट करने के मामले दर्ज़ रहे हैं। हालाँकि 2014 में चुनावी शपथ पत्र में उसने लिखा था कि उस पर कोई मामला लंबित नहीं है।
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