केंद्र सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती को लेकर उत्तर प्रदेश आईएएस असोसिएशन ने गंभीर सवाल उठाए हैं। यूपी कैडर के आईएएस अफ़सरों ने मोदी सरकार की नीति को अपारदर्शी बताते हुए इसमें सुधार करने को कहा है। हाल ही में केंद्र में कुछ महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती में यूपी कैडर के आईएएस अफ़सरों की जिस कदर उपेक्षा की गई है, उसके बाद यह माँग जोर पकड़ रही है कि तैनाती को लेकर मोदी सरकार की 360 डिग्री मूल्यांकन की नीति में खोट है।
यूपी आईएएस असोसिएशन ने हाल ही में संपन्न हुए 'आईएएस वीक' के अंतिम दिन मोदी सरकार की इस नीति के विरोध में एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र से तैनाती की नीति में पारदर्शिता लाने और केंद्रीय सेवा में इमपैनलमेंट को बदलने की माँग की है।
यूपी आईएएस एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रवीर कुमार ने मोदी सरकार के कॉर्पोरेट स्टाइल 360 डिग्री मूल्यांकन को अपारदर्शी और ओपन ब्लैक बॉक्स बताया है। उन्होंने कहा कि यह पूरी की पूरी नीति ही दुरुपयोग की गुंज़ाइश रखती है और इसमें कोई पारदर्शिता नहीं है।
यूपी आईएएस असोसिएशन की इस माँग को जायज़ बताते हुए उत्तर प्रदेश के कई अफ़सरों ने जल्द से जल्द इसे परिवर्तित करने और पारदर्शी व्यवस्था लागू करने की माँग की है।
प्रवीर कुमार का कहना है कि 360 डिग्री मूल्यांकन की प्रक्रिया से किसी अफ़सर के लिए यह जान पाना मुश्किल है कि केंद्र सरकार में किसी पद के लिए क्यों उसका चयन हुआ या क्यों उसकी दावेदारी खारिज कर दी गई। उनका कहना है कि मोदी सरकार की नीति प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के ख़िलाफ़ है। उनका कहना है कि सरकार के किसी अफ़सर के बारे में जो फ़ीडबैक लेने का तरीक़ा अपनाया जा रहा है, वह सही नहीं है। इसमें संबंधित अफ़सर को पता ही नहीं चल पाता है कि किसने आपके बारे में क्या कहा है। लिहाज़ा आप विरोध करने का मौलिक अधिकार ही खो बैठते हैं।
- इस पर प्रतिक्रिया देते हुए यूपी कैडर के युवा आईएएस व बुलंदशहर के ज़िलाधिकारी अनुज कुमार झा का कहना है कि अब समय आ गया है कि सिस्टम की ग़लतियों को सुधारा जाए और स्टेक होल्डर्स के नज़रिए को शामिल करते हुए बेहतर नीतियाँ बनाई जाएँ।
ग़ौरतलब है कि हाल ही में केंद्र में कई महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती में यूपी कैडर के कई अफ़सरों की अनदेखी किए जाने से कैडर में रोष है।
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