डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि कमलेश तिवारी के घर लाये गये मिठाई के डिब्बे को आधार बनाते हुए यूपी पुलिस ने गुजरात पुलिस से संपर्क साधा और एक पुलिस टीम को गुजरात भेजा। मिठाई का यह डिब्बा सूरत की जिस दुकान से खरीदा गया था, वहां के आसपास की सीसीटीवी फ़ुटेज की छानबीन में एक संदिग्ध व्यक्ति फ़ैज़ान यूनुस भाई की पहचान की गई। इसके बाद दोनों राज्यों की पुलिस ने समन्वय करके फ़ैजान के अलावा मौलाना मोहसिन शेख और राशिद अहमद खुर्शीद पठान को हिरासत में लिया।
डीजीपी ने कहा कि राशिद पठान कंप्यूटर का जानकार है और दर्जी भी है, उसी ने कमलेश तिवारी की हत्या की योजना बनाई थी और मौलाना मोहसिन शेख ने उसे हत्या के लिये भड़काया था। इस बारे में उससे भी पूछताछ की जा रही है। डीजीपी ने कहा कि फ़ैज़ान मिठाई का डिब्बा खरीदने में शामिल रहा है।
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डीजीपी ओपी सिंह ने कहा कि प्रथम दृष्टया ऐसा लग रहा है कि कमलेश तिवारी के भड़काऊ बयानों के कारण यह हत्या की गई है। उन्होंने कहा कि ये लोग कमलेश तिवारी के 2015 में दिये गये एक बयान के कारण उग्र हो गये थे लेकिन जब हम बाक़ी अभियुक्तों को भी पकड़ लेंगे तो काफ़ी और बातें भी सामने आयेंगी।
2015 में पैगंबर मोहम्मद साहब को लेकर विवादित बयान देने पर कमलेश तिवारी को जेल भी हुई थी और तब तिवारी के ख़िलाफ़ लाखों मुसलमान सड़कों पर उतर आए थे और उन्होंने जमकर विरोध-प्रदर्शन किया था। लखनऊ पुलिस ने तिवारी के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून (एनएसए) लगाया था लेकिन एक साल बाद इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने इसे हटा दिया था।
पैगंबर मोहम्मद साहब को लेकर दिये गये विवादित बयान के बाद बिजनौर के एक मौलाना अनवारुल हक़ ने 2016 में कमलेश का सिर कलम करने पर 51 लाख रुपये का इनाम घोषित किया था।
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