उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण का मतदान रविवार को है। इस चरण के राजनीतिक समीकरण काफ़ी अलग हैं। समझा जाता है कि यही वह इलाक़ा है जहाँ से बीजेपी को समाजवादी पार्टी से सबसे तगड़ी चुनौती मिलने के आसार हैं। तो सवाल है कि आख़िर इस क्षेत्र में ऐसा क्या है?
तीसरे चरण के चुनाव अधिकतर उन सीटों पर हैं जिसे 'यादव बेल्ट' कहा जाता है। यादव बेल्ट से मतलब है वह क्षेत्र जहाँ समाजवादी पार्टी का दबदबा रहा है। बुंदेलखंड से अवध क्षेत्र तक के 16 ज़िलों में फैले 59 विधानसभा क्षेत्रों में 20 फरवरी को मतदान होगा। हालाँकि, सबसे उत्सुकता से देखा जाने वाला मुक़ाबला मैनपुरी में करहल होगा, जहाँ सपा प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव उम्मीदवार हैं। वह अपना पहला विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं।
तीसरे चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पाँच ज़िले- फिरोजाबाद, मैनपुरी, एटा, कासगंज, हाथरस, अवध क्षेत्र के छह जिले- कानपुर, कानपुर देहात, औरैया, कन्नौज, इटावा, फर्रुखाबाद और बुंदेलखंड क्षेत्र के पांच जिले- झांसी, जालौन, ललितपुर, हमीरपुर और महोबा हैं।
आठ ज़िले - मैनपुरी, इटावा, फिरोजाबाद, कासगंज, एटा, फर्रुखाबाद, कन्नौज और औरैया कम से कम 2017 तक मुलायम सिंह यादव के परिवार के गढ़ थे। इन सीटों पर यादवों की काफी आबादी है।
लेकिन 2017 में चीजें बदल गईं। 2017 में उत्तर प्रदेश में सपा को सिर्फ़ 47 सीटें ही मिल सकीं। यादव बेल्ट की 29 सीटों में से बीजेपी ने 23 पर जीत हासिल की, जबकि सपा को केवल छह सीटें मिलीं। हालाँकि तीसरे चरण में मतदान वाली 59 सीटों में से बीजेपी ने 49 और सपा ने 8 सीटें जीतीं।
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2017 में बुंदेलखंड में बीजेपी ने सभी 13 सीटें जीती थीं और 47 फ़ीसदी मत पाए थे। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने 25.5 फ़ीसदी वोट और बीएसपी ने 22 फ़ीसदी वोट हासिल किए थे।
यादव बेल्ट और कानपुर क्षेत्र में बीजेपी ने 36 सीटें जीती थीं और समाजवादी पार्टी 8, कांग्रेस एक और बीएसपी 1 सीट जीती थी। बीजेपी को 43 फ़ीसदी वोट, सपा+कांग्रेस को 31.4 फ़ीसदी और बीएसपी को 20 फ़ीसदी वोट मिले थे।
क्या है अनुसूचित जातियों का समीकरण
- 21.4% अनुसूचित जाति (जिनमें से 50% से थोड़ा अधिक जाटव) + 11% मुसलिम हैं।
- बुंदेलखंड के कुछ ज़िलों में एससी की संख्या क़रीब 25% है।
- सभी अनुसूचित जाति की आबादी (21.4%) में से 56% जाटव हैं, कोरी 10% धोबी 9%, धनुक 7% और बाल्मीकि 5% (खटिक और पासी प्रत्येक 2% हैं)।
- यही गैर-जाटव वोट बैंक है जहां बीजेपी ने पिछले कुछ वर्षों में अच्छा प्रदर्शन किया है।
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