कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने भारतीय जनता पार्टी पर तीखा हमला बोलते हुए पूछा है कि उन्नाव बलात्कार मामले का अभियुक्त अब तक उस पार्टी में क्यों है। उन्होंने यह सवाल भी उठाया है कि इस मामले में सीबीआई की जाँच कहाँ तक पहुँची। उन्नाव बलात्कार कांड की पीड़िता की गाड़ी को रविवार को एक ट्रक ने ज़ोरदार टक्कर मार दी थी जिसमें पीड़िता की चाची और मौसी की मौत हो गई थी। प्रियंका ने ट्वीट कर कहा है कि बलात्कार पीड़िता के साथ सड़क दुर्घटना होना बेहद चौंकाने वाली घटना है। उन्होंने पूछा है कि पीड़िता और गवाहों की सुरक्षा में ढिलाई क्यों बरती गई है?
प्रियंका गांधी के तीखे तेवर की वजह यह है कि वह 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' का नारा देने वाली पार्टी को उसी के घर में घेरना चाहती है। जो सीबीआई विपक्ष के नेताओं के कथित भ्रष्टाचार के मामलों की जाँच मुस्तैदी से करती है, उसने बलात्कार जैसे मामले में दो साल बीत जाने के बाद भी अभियुक्त के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई क्यों नहीं की है, प्रियंका इस ओर इशारा करना चाहती हैं।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने उन्नाव की बलात्कार पीड़िता की हत्या की आशंका जताई है। यादव ने इस सड़क हादसे की सीबीआई से जाँच कराने की माँग भी की है। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने लखनऊ पहुँचकर पीड़िता से मुलाक़ात की है। मालीवाल ने कहा कि पीड़िता और वकील की हालत नाजुक है और उन्हें इलाज के लिए दिल्ली ले जाये जाने की ज़रूरत है।
बता दें कि पीड़िता रायबरेली जेल में बंद अपने चाचा से मिलने अपनी चाची, मौसी और वकील के साथ कार से रायबरेली जा रही थी। लेकिन रास्ते में ही उनकी कार को एक ट्रक ने टक्कर मार दी, जिसमें पीड़िता की चाची और मौसी की मौत हो गई। बलात्कार पीड़िता और उनकी वकील की हालत बेहद गंभीर है और दोनों का लखनऊ के ट्रॉमा सेंटर में इलाज चल रहा है।
लखनऊ जोन के एडीजी राजीव कृष्णन ने अस्पताल का दौरा करने के बाद कहा कि डॉक्टरों ने उन्हें बताया है कि पीड़िता और वकील को लाइफ़ सपोर्ट सिस्टम पर रखा गया है। उनकी कुछ हड्डियाँ टूट गई हैं और दोनों में से एक के सिर में चोट आई है।
पीड़िता ने आरोप लगाया था कि उन्नाव के बांगरमऊ से विधायक कुलदीप सिंह सेंगर ने उसके साथ जून, 2017 में अपने आवास पर बलात्कार किया था। पीड़िता ने कहा था कि तब वह अपने एक रिश्तेदार के साथ नौकरी माँगने के लिए विधायक के पास गई थी। कुलदीप के ख़िलाफ़ भारतीय दंड संहिता की धारा 363, 366, 376, 506 और पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे मामले की जाँच सीबीआई से कराने की सिफ़ारिश की थी, जिसे एजेंसी ने स्वीकार कर लिया था।
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