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अयोध्या: यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड बनाएगा मसजिद, ट्रस्ट का गठन

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमिपूजन की जोरदार तैयारियों के बीच  उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी ताल ठोक दी है। बोर्ड की ओर से बुधवार को जारी प्रेस रिलीज में कहा गया है कि अयोध्या में मसजिद के निर्माण के लिए 15 सदस्यों वाले ट्रस्ट का गठन किया गया है। ट्रस्ट का नाम ‘इंडो इसलामिक कल्चरल फ़ाउंडेशन’ रखा गया है। 

ग़ौरतलब है कि अयोध्या विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को मुसलिम पक्ष को 5 एकड़ ज़मीन देने का आदेश दिया था। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अयोध्या के धन्नीपुर गांव में यह ज़मीन दी गई है और बोर्ड की ओर से इसे फ़रवरी, 2020 में स्वीकार कर लिया गया था। 

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बोर्ड ने प्रेस रिलीज में कहा है कि सुन्नी सेंट्रल वक्फ़ बोर्ड इस ट्रस्ट का फ़ाउंडिंग ट्रस्टी होगा। ज़ुफ़र अहमद फ़ारूख़ी को ट्रस्ट का अध्यक्ष बनाया गया है। फ़ारूख़ी बोर्ड के भी अध्यक्ष हैं। 

बताया गया है कि कोरोना वायरस का संकट ख़त्म होने के बाद ट्रस्ट की ओर से मसजिद के निर्माण का काम शुरू किया जाएगा। मसजिद के साथ-साथ इस 5 एकड़ के दायरे में चैरिटेबल अस्पताल, म्यूजियम, लाइब्रेरी, पब्लिशिंग हाउस बनाया जाएगा व मेडिकल सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाएंगी।

Trust formed to build mosque in Ayodhya - Satya Hindi
उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की प्रेस रिलीज़।
पिछले साल 9 नवंबर को दिए अपने फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थल रामलला को देने का आदेश दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को आदेश दिया था कि वह मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने के भीतर ट्रस्ट बनाए। इसके बाद केंद्र सरकार की ओर से फ़रवरी, 2020 में श्री रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र ट्र्स्ट का गठन किया गया था।
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पहले की थी ना-नुकुर 

पांच एकड़ ज़मीन को लेकर मुसलिम संगठनों में सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद मतभेद के स्वर सुनाई दिए थे। ऑल इंडिया मुसलिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने कहा था कि उसे मसजिद के बदले में दूसरी जगह पर दी जाने वाली पांच एकड़ ज़मीन मंजूर नहीं है। बोर्ड ने कहा था कि उसने हक़ की लड़ाई लड़ने के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाया था न कि दूसरी जगह ज़मीन पाने के लिए। लेकिन बाद में यह आमराय बन गई थी कि बोर्ड अब सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले पर किसी तरह का विवाद नहीं चाहता है और ज़मीन को स्वीकार कर लेगा। 

टाइम कैप्सूल की बात अफ़वाह

उधर, बीते कुछ दिनों से समाचार चैनलों और अखबारों में यह बात प्रचारित की जा रही थी कि राम मंदिर की नींव डालते समय यहां स्टील का एक टाइम कैप्सूल काफी गहरे तक दबाया जाएगा। इस टाइम कैप्सूल में राम मंदिर के इतिहास, आंदोलन, प्रमुख घटनाओं की जानकारी मौजूद रहेगी। 

लेकिन मीडिया रिपोर्टों का खंडन करते हुए राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के पदाधिकारी चंपत राय ने इसे कोरी अफ़वाह बताया है। उन्होंने कहा कि टाइम कैप्सूल दबाए जाने की न तो पहले कभी योजना थी और न अब है। चंपत राय ने कहा कि इस तरह की सभी बातें फर्जी हैं।

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क़मर वहीद नक़वी
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