सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 18 सितंबर को को लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में विशेष जांच दल (एसआईटी) को राहत देते हुए कहा कि उसने पहले ही अपनी जांच पूरी कर ली है और ट्रायल कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल कर दिया है। इसलिए अब उसे भंग किया जाता है। अदालत ने कहा कि अगर जरूरत पड़ेगी तो एसआईटी फिर से बनाई जा सकती है।
मामला 3 अक्टूबर 2021 को हुई हिंसा की घटना से जुड़ा है, जिसमें लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी।
सोमवार को आदेश जारी करते हुए जस्टिस सूर्यकांत और दीपांकर दत्ता की पीठ ने यह भी कहा कि अगर एसआईटी के पुनर्गठन की कोई जरूरत पड़ी तो उचित आदेश पारित किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस को एसआईटी बनाने को कहा, फिर इसकी जांच दैनिक आधार पर निगरानी के लिए पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस राकेश कुमार जैन को नियुक्त किया था।
तीन वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी, एसबी शिरोडकर, दीपिंदर सिंह और पद्मजा चौहान एसआईटी का हिस्सा थे।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 11 जुलाई को केंद्रीय मंत्री अजय कुमार मिश्रा के बेटे आशीष मिश्रा की अंतरिम जमानत 26 सितंबर तक बढ़ा दी थी, जो मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं।
3 अक्टूबर 2021 में यह हिंसा तब भड़की थी जब किसान उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के इलाके के दौरे का विरोध कर रहे थे। आरोप है कि केंद्रीय मंत्री के बेटे ने कथित तौर पर अपनी एसयूवी शांतिपूर्वक धरना दे रहे किसानों पर चढ़ा दी, जिसमें चार किसानों की मौत हो गई। इसके बाद गुस्साए किसानों ने एक ड्राइवर और दो बीजेपी कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या कर दी। हिंसा में एक पत्रकार की भी मौत हो गई। इस घटना से विपक्षी दलों और केंद्र के रद्द किए जा चुके तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसान संगठनों का गुस्सा बढ़ गया।
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