देशभर में जातिगत जनगणना
को लेकर मांग बढ़ती जा रही है। बिहार की जेडीयू-राजद सरकार पहले ही यह जनगणना शुरू कर
चुकी है। बीते दिनों छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी कहा कि राज्य में
जातिगत गणना पूरी ही चुकी है और सरकार जल्द ही नई आरक्षण पॉलिसी की भी घोषणा
करेगी। छत्तीसगढ़ में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि इस कदम से देश की दूसरी राज्य सरकारें भी आगे बढ़ेंगी।
उतर प्रदेश में भी लगातार
जातिगत जनगणना की मांग हो रही है। समाजवादी पार्टी इसको सबसे ज्यादा हवा दे रही
है। पार्टी इसके लिए 24 फरवरी में
प्रदेश भर में एक अभियान शुरु करने जा रही है। इस अभियान की शुरुआत प्रधान मंत्री
नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट बनारस से हो रही है। समाजवादी पार्टी इस मांग
को लेकर प्रदेश के सभी 822 ब्लॉक में जाएगी और हर ब्लॉक में एक जनसभा का आयोजन
करेगी।
समाजवादी पार्टी इस मांग को लेकर प्रदेश के सभी 822 ब्लॉक में जाएगी और हर ब्लॉक में एक जनसभा का आयोजन करेगी।
सपा लोकसभा चुनाव से पहले
इस अभियान को शुरू कर दलितों और पिछड़ों को अपने पाले में करने की कोशिशों में
जुटी हुई है। इस खेमे का बड़ा हिस्सा वर्तमान में भाजपा के साथ है। समाजवादी
पार्टी छिटक कर जा चुके हिस्से को ही अपने पाले में वापस लाने की कोशिश कर रहे
हैं।
समाजवादी पार्टी के
राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य 24 फरवरी को इस अभियान की शुरुआत करेंगे। ओबीसी
के मौर्य समुदाय से आने वाले नेता स्वामी प्रसाद इस अभियान का जरूरी हिस्सा बताए
जा रहे हैं।
बीते दिनों स्वामी प्रसाद
मौर्य रामचरितमानस पर अपनी टिप्पणी के लिए चर्चा में रहे हैं। अपनी टिप्पणी में
उन्होंने हिंदू महाकाव्य रामचरित मानस को ओबीसी, दलितों और महिलाओं के प्रति अपमानजनक बताया था, जिसको लेकर काफ़ी विवाद हुआ था। मौर्य द्वारा
मानस पर की गई टिप्पणी को लेकर भाजपा ने इसे पवित्रग्रंथ का अपमान बताया था और
अखिलेश यादव से इनपर कार्रवाई की मांग की थी।
बीते दिनों स्वामी प्रसाद मौर्य रामचरितमानस पर अपनी टिप्पणी के लिए चर्चा में रहे हैं। अपनी टिप्पणी में उन्होंने हिंदू महाकाव्य रामचरित मानस को ओबीसी, दलितों और महिलाओं के प्रति अपमानजनक बताया था, जिसको लेकर काफ़ी विवाद हुआ था।
अखिलेश ने मौर्य पर कोई
कार्रवाई करने की बजाए उनको पार्टी का महासचिव नियुक्त कर दिया, जिसे मौर्य के प्रमोशन के तौर पर देखा गया।
इससे यह भी अटकलें लगाई जाने लगीं की समाजवादी पार्टी दलितों पर पिछड़ों को लुभाने
के लिए ही इस तरह के अभियान को हवा दे रही है। मौर्य की टिप्पणी के लिए आलोचना
करने पर सपा ने गुरुवार को दो महिला नेताओं को भी बाहर का रास्ता दिखा दिया था।
अखिलेश ने मौर्य पर कोई कार्रवाई करने की बजाए उनको पार्टी का महासचिव नियुक्त कर दिया, जिसे मौर्य के प्रमोशन के तौर पर देखा गया।
उसके बाद केंद्र और राज्य
की भाजपा सरकार पर दबाव बनाने के लिए पार्टी द्वारा जातिगत जनगणना की मांग करना
इसी तरफ संकेत कर रहे हैं। देखना है कि पार्टी आने वाले लोकसभा चुनाव में इसका
कितना फायदा उठा पाती है। क्योंकि पिछले चुनाव में भाजपा के अलावा राज्य की सभी पार्टियों
के वोट बेस में कमी आई है।
उत्तर प्रदेश से और खबरें
पार्टी जातिगत गणना को
लेकर कितनी गंभीर इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इस संबंध में अखिलेश यादव
ने सोमवार को पत्रकारों से बात करते हुए
कहा कि प्रदेश में 'सबका साथ, सबका विकास’ तभी
संभव है जब उत्तर प्रदेश में जाति आधारित जनगणना कराई जाएगी।
उन्होंने कहा कि जातिगत
जनगणन मांग सपा की कोई नयी नहीं है। सपा सहित कई दूसरी और पार्टियां भू लगातार
इसकी मांग करती रही हैं। ‘सबका साथ, सबका विकास’ तभी संभव है जब जाति आधारित जनगणना कराई जाएगी। इस अखिलेश ने योगी
आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए कहा कि वे तो बाहरी हैं और नहीं चाहते कि राज्य में
जातिगत जनगणना हो।
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