योगी सरकार के शपथ ग्रहण समारोह के बाद कई बड़े नाम चर्चा में हैं। ये वह नाम हैं जो पिछली सरकार में ताकतवर मंत्री थे और इनके पास अहम विभाग थे लेकिन इस बार उन्हें सरकार में जगह नहीं मिली है।
ऐसे मंत्रियों में सिद्धार्थ नाथ सिंह और श्रीकांत शर्मा के नाम प्रमुख हैं। इसके अलावा दिनेश शर्मा को भी इस बार कैबिनेट में जगह नहीं मिली है जबकि पिछली सरकार में वह उप मुख्यमंत्री थे। उनकी जगह पर बृजेश पाठक को उप मुख्यमंत्री बनाया गया है।
श्रीकांत शर्मा मथुरा से लगातार दूसरी बार चुनाव जीते हैं। वह पिछली सरकार में प्रवक्ता की जिम्मेदारी संभालते थे और पार्टी और सरकार का पक्ष मजबूती से रखते थे। श्रीकांत शर्मा बीजेपी के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी और राष्ट्रीय सचिव भी रह चुके हैं। शर्मा के पास पिछली सरकार में ऊर्जा जैसा अहम विभाग था।
जबकि सिद्धार्थ नाथ सिंह इलाहाबाद पश्चिम की सीट से लगातार दूसरी बार चुनाव जीते हैं और पिछली सरकार में वह भी समाचार पत्रों और टीवी चैनलों पर मुखरता से सरकार का पक्ष रखते थे। उनके पास एमएसएमई और खादी मंत्रालय था।
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जय प्रताप सिंह और आशुतोष टंडन
स्वास्थ्य मंत्री रहे जय प्रताप सिंह को भी इस बार कैबिनेट में जगह नहीं मिली है। जय प्रताप सिंह सिद्धार्थनगर जिले की बांसी सीट से 8 बार के विधायक हैं। आशुतोष टंडन ‘गोपाल’ भी कैबिनेट में जगह नहीं बना सके हैं। उनके पास पिछली सरकार में शहरी विकास जैसा अहम विभाग था। आशुतोष टंडन बीजेपी के बड़े नेता रहे लालजी टंडन के बेटे हैं और लखनऊ ईस्ट सीट से चुनाव जीते हैं।
मनकापुर के विधायक रमापति शास्त्री पिछली सरकार में सामाजिक कल्याण मंत्री थे और वह राजनाथ सिंह और कल्याण सिंह की सरकारों में भी मंत्री रह चुके हैं। लेकिन उन्हें भी इस बार कैबिनेट में जगह नहीं मिली है।
सतीश महाना और नीलकंठ तिवारी
दो और बड़े नाम सतीश महाना और नीलकंठ तिवारी के हैं। सतीश महाना के पास औद्योगिक विकास जैसा अहम मंत्रालय था। महाना 8 बार विधायक बन चुके हैं। कहा जा रहा है कि बीजेपी सतीश महाना को विधान सभा का स्पीकर बना सकती है।
नीलकंठ तिवारी वाराणसी दक्षिण की सीट से चुनाव जीत कर आए हैं और यह सीट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र की विधानसभा सीटों में से एक है। विश्वनाथ धाम कॉरिडोर भी वाराणसी दक्षिण सीट में ही आता है। नीलकंठ तिवारी की जगह बीजेपी ने दयाशंकर मिश्र दयालु को कैबिनेट में जगह दी है।
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मोहसिन रजा बाहर
बीजेपी ने पिछली सरकार में अकेले मुसलिम मंत्री रहे मोहसिन रजा को भी इस बार मंत्री नहीं बनाया है। मोहसिन रजा के पास अल्पसंख्यक कल्याण, वक्फ़ और हज मंत्रालय था। मोहसिन रजा भी सरकार का पक्ष बड़ी मजबूती से रखते रहे हैं और वह उत्तर प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता भी रहे हैं। कहा जाता है कि उनके खिलाफ पार्टी को कुछ शिकायतें मिली थीं और इस वजह से इस बार उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया है। उनकी जगह पर दानिश आजाद अंसारी को मंत्री बनाया गया है।
एक बड़ा नाम विधान परिषद के सदस्य महेंद्र सिंह का भी है। वह पिछली सरकार में जल शक्ति मंत्री थे और उन्हें रक्षा मंत्री और लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह का करीबी माना जाता है।
आगे है संभावना
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित 53 मंत्रियों को शुक्रवार को शपथ दिलाई गई। उत्तर प्रदेश सरकार में अधिकतम 60 मंत्री हो सकते हैं। इस तरह अभी 7 पद खाली हैं और माना जा रहा है कि कैबिनेट के अगले विस्तार में इनमें से कुछ नेताओं को जगह मिल सकती है।
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