पूर्व छात्र नेता अच्युतानंद शुक्ला उर्फ़ सुमित की दिल दहलाने वाली हत्या की बातें अभी बंद नहीं हुई थीं कि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सर पी. सी. बनर्जी छात्रावास में नृशंस क़त्ल की दूसरी वारदात सामने आयी है। जिसके मृतक होने की पुष्टि हुई है उसका नाम रोहित शुक्ला उर्फ़ बेटू है। इन्हें सुमित शुक्ला का ही शागिर्द बताया जाता है।
बेसब्र युवाओं की अदम्य महात्वाकांक्षा
अगर आपको इस घटना के विवरण अनुराग कश्यप या तिग्मांशु धूलिया स्टाइल वाली क्राइम थ्रिलर जैसी लगे तो बहुत लाज़िमी है। यहाँ कैम्पस के आसपास बेसब्र युवाओं की एक ऐसी नस्ल तैयार हो रही है, जिसे पैसा और रसूख़ पाने की बहुत जल्दी है।
इस महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए उनकी नज़र में सबसे प्रभावशाली तरीका ताक़त और दुस्साहस का भड़कीला प्रदर्शन है। खुले आम हाथ में कट्टा और पिस्टल से फायरिंग, देसी स्टाइल में कमरे में बने बमों का धमाका, लोगों में ख़ौफ़ और दहशत कायम करना। ये रास्ता उनको सबसे आसान और सस्ता मालूम पड़ता है। पहले क्राइम की दुनिया में दबदबा कायम करना। फिर उसके बाद सियासत में मुक़ाम बनाने का लक्ष्य।
नेटफ्लिक्स और अमेजॉन पर बेहद लोकप्रिय हो रहे 'पाब्लो एस्कोबार' और 'कालीन भैया' ऐसे युवाओं के उच्चतम आदर्श हैं। ये जल्दी से नाम बनाने की लालच में इस क़दर संवेदनहीन हो चुके हैं कि फ़ायरिंग और शूटिंग इनके लिए पबजी और दूसरे गेम्स खेलने जैसा है।
पीसीबी हॉस्टल के जिस कमरे के आसपास यह वारदात हुई है उन लोगों ने बताया कि हत्या की साज़िश और अंजाम देने वाला कथित रूप से आदर्श त्रिपाठी नाम का छात्र है। आदर्श त्रिपाठी पिछले साल छात्र संघ अध्यक्ष पद के लिए चुनाव का प्रत्याशी भी था। ग़ौरतलब है कि चुनाव में उनको सिर्फ़ 90 वोट मिले थे। नेता बनने में तो नाकाम रहा। आदर्श हत्या के बाद से ही फ़रार है।
पिछले चार पाँच दिनों में अख़बार के स्थानीय पन्नों में आदर्श त्रिपाठी के कटरा के दुकानदारों और ठेकेदारों से रंगदारी मांगने की कई ख़बरें प्रकाशित हुईं। तभी से अंदेशा था कि वह किसी वारदात को अंजाम देने की फ़िराक़ में है। आदर्श त्रिपाठी को पिछले साल सुमित शुक्ला की हत्या करने वाले आशुतोष त्रिपाठी का भी क़रीबी बताया जा रह है, जो क़त्ल के बाद पिछले साल से ही जेल में है। कुछ लोग इस हत्या को भी सुमित शुक्ला की हत्या से जोड़कर देख रहे हैं।
बातचीत के दौरान फ़ायरिंग
कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि पीसीबी छात्रावास के एक कमरे में देर बेटू शुक्ला और साथी देर रात बैठे हुए थे। बेटू छात्रावास में नहीं रहते थे। उनके कुछ दोस्त वहां रहते थे तो आना-जाना लगा रहता था। आदर्श से तनातनी पुरानी चल रही थी। जब बेटू हॉस्टल में आये तो आदर्श ने बुलाया कि आपसी फ़साद ठीक नहीं। आइये, बात कर के मुद्दे को सुलझा लेते हैं। अब उसी बात के दौरान क्या हुआ कि आदर्श ने फायरिंग शुरू कर दी। उधर से बेटू ने भी फायरिंग की। बताया जाता है कि बेटू के साथी मौक़ा पाकर भाग निकले।
बेटू शुक्ला भी जान बचाने के लिए बाथरूम की तरफ़ भागे। मगर वह अकेले पड़ गए थे और घिर चुके थे। कहा जा रहा है कि आदर्श ने बाथरूम में ही क़रीब से दो-तीन गोली सर में मारी। बेटू शुक्ला की मौक़े पर ही मौत हो गई।
फोरेंसिक टीम ने डाटा कलेक्ट कर लिया है। लाश पोस्ट-मार्टम के लिए भेज दी गई है। पुलिस अभी कुछ कहने से बच रही है। लेकिन एक बात तो तय है कि यह अहम्, वर्चस्व, महत्वाकांक्षा और दहशत के दम पर अपना नाम बनाने की जंग है। संजय मिश्रा नाम के एक शख़्स को गिरफ़्तार कर लिया गया है और पूछताछ जारी है।
बेटू शुक्ला की पिछले साल शादी हुई थी। ह्त्या के एक दिन पहले ही उसकी शादी की शालगिरह थी। इस तरह की घटनाएँ सबक देती हैं कि अपराध और जरायम की दुनिया दूर से कितनी भी ग्लैमरस और चकाचौंध से भरी दिखे, इस अफ़साने का अंजाम अक्सर अँधेरी गलियां ही होती हैं।
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