विपक्ष भले ही लखीमपुर खीरी मामले में जोर-शोर से केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के इस्तीफ़े की मांग कर रहा हो लेकिन केंद्र सरकार और बीजेपी इसके लिए शायद तैयार नहीं दिखते। पत्रकार से बदसलूकी के बाद दिल्ली तलब किए गए टेनी के बारे में बताया गया है कि आने वाले दिनों में बतौर मंत्री उनके कार्यक्रम लगे हुए हैं।
इस मामले में केंद्रीय मंत्री मुख़्तार अब्बास नक़वी ने कहा है कि क़ानून अपना काम कर रहा है और लोगों को अपना ज्ञान नहीं देना चाहिए। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, एआईएमआईएम सांसद असदउद्दीन ओवैसी सहित कई नेताओं ने टेनी के इस्तीफ़े की मांग की है।
एनडीटीवी के मुताबिक़, बीजेपी के बड़े नेता टेनी के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने के पक्ष में नहीं हैं। केंद्रीय मंत्रियों और बीजेपी नेताओं का कहना है कि लखीमपुर खीरी मामला कोर्ट में विचाराधीन है और एसआईटी को अभी इस मामले में अपनी फ़ाइनल रिपोर्ट जमा करनी है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा है कि टेनी को पत्रकारों से बात करते वक़्त संयम रखना चाहिए था और बदसलूकी किया जाना ग़लत है।
सरकार का यह मत है कि बेटे की ग़लती की सजा उसके पिता को नहीं दी जा सकती।
टेनी के इस्तीफ़े की मांग को लेकर दिल्ली से लखनऊ तक जोरदार हंगामा हो रहा है। लोकसभा और राज्यसभा में इस मुद्दे पर शोरगुल के बाद लखनऊ में कांग्रेस और सपा के नेता सड़क पर उतरे हैं।
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने लोकसभा में कहा, “टेनी को सजा मिलनी चाहिए और उन्हें सरकार से बाहर किया जाना चाहिए। वह अपराधी हैं। उन पर कार्रवाई होनी चाहिए।”
एसआईटी ने कहा है कि यह घटना किसानों की हत्या करने की सोची-समझी साजिश थी। टेनी की बर्खास्तगी की मांग को लेकर विपक्ष ने दबाव बना दिया है, देखना होगा कि क्या सरकार इस दबाव के आगे झुकेगी?
सियासी नुक़सान का आकलन
बीजेपी को इस बात का डर है कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले टेनी का इस्तीफ़ा लेने से ब्राह्मण मतदाता नाराज़ हो सकते हैं। उत्तर प्रदेश में बीजेपी इस बार कड़े मुक़ाबले में फंसी है। उसे सपा की ओर से जोरदार चुनौती मिल रही है। ऐसे में टेनी का इस्तीफ़ा लेने से क्या कहीं कोई सियासी डैमेज हो सकता है, इस बात का आकलन भी बीजेपी हाईकमान कर रहा है।
लेकिन इतना तय है कि आने वाले कुछ दिनों तक टेनी की बर्खास्तगी उत्तर प्रदेश में एक बड़ा मुद्दा रहेगा।
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