उत्तर प्रदेश पुलिस ने
तुलसीदास द्वारा लिखी रामचरितमानस की प्रतियां जलाने के आरोप में दो लोगों के
खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (रासुका) के तहत कार्रवाई की गई है। इसके अलावा दस और लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्द कराई गई थी।
दर्ज कराई गई एफआईआर में समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य, देवेंद्र प्रताप यादव, यशपाल सिंह लोधी, सत्येंद्र कुशवाहा, महेंद्र प्रताप यादव, सुजीत यादव, नरेश सिंह, एसएस यादव, संतोष वर्मा और मोहम्मद सलीम को नामजद किया गया है। एफआईआर भारतीय दंड संहिता(आईपीसी)
की धारा 142 (गैरकानूनी तरीके से एकत्र
होना), 143, 153 ए (धर्म,
जाति, जन्म स्थान, निवास आदि पर
अपमानजनक या हमला), 295 (पूजा स्थल को
अपवित्र करना), 295 ए (धार्मिक
भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य) और 298
(धार्मिक भावनाओं को चोट पहुंचाने के इरादे से
जानबूझकर शब्द कहना) के तहत दर्ज की गई थी।
29 जनवरी,
2023 को श्री रामचरितमानस की प्रतियां जलाने के
संबंध में केस नंबर 75/23 के संबंध में,
लखनऊ पुलिस ने दो आरोपियों सलीम और सत्येंद्र
कुशवाहा को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) की धारा 3, उप-धारा 2 के तहत लखनऊ
जिला जेल में हिरासत में लेने का आदेश दिया है। उनके खिलाफ यह कार्रवाई सार्वजनिक
शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए की गई है।
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आरोपों के अनुसार,
सलीम और सत्येंद्र कुशवाहा ने 10 और लोगों के साथ मिलकर रामचरितमानस की
प्रतियां जलाईं थी जिसका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। वीडियो वायरल होने
के बाद ही उनपर यह कार्रवाई की गई है।
पिछले महीने सपा नेता
स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस में विशेष जातियों और संप्रदायों पर किए गई
अपमानजनक टिप्पणियों और व्यंग्य को हटाने की मांग करके विवाद पैदा कर दिया था।
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स्वामी प्रसाद मौर्य ने
दावा किया था कि तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस में दलित समुदाय की भावनाओं को
आहत करने वाले शब्दों का प्रयोग किया गया है।
स्वामी प्रसाद मौर्य को
इस विवाद में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का समर्थन मिला था। अखिलेश ने
कहा था कि भाजपा वाले हमें शूद्र समझते हैं। इसके बाद मौर्य को समाजवादी पार्टी का
महासचिव नियुक्त कर दिया गया था।
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