यूपी डायरी : 36 घंटे
1. बलरामपुर- 22 वर्षीय दलित बालिका की बलात्कार के बाद निर्मम हत्या।
2. बुलंदशहर में 13 साल की नाबालिग के साथ बलात्कार।
"मैं ओमप्रकाश पुत्र स्व. बाबूलाल निवासी ग्राम बूलगढ़ी, थाना चंदपा, तहसील- हाथरस, जनपद- हाथरस बयां करता हूँ कि मेरी मा. मुख्यमंत्री जी उप्र शासन, लखनऊ से दूरभाष पर वार्ता हुई। मा. मुख्यमंत्री जी द्वारा मेरी समस्त मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया गया। मैं मा. मुख्यमंत्री जी के आश्वासन से संतुष्ट हूँ एवं उनका आभार प्रकट करता हूँ। इस दुःख की घड़ी में जिन लोगों ने हमारा साथ दिया मैं उनका भी आभार व्यक्त करता हूँ एवं सभी लोगों से अपील करता हूँ कि किसी प्रकार का धरना-प्रदर्शन न करें। शासन/ प्रशासन की कार्रवाई से पूरी तौर पर संतुष्ट हूँ।"
'क्रूरता प्रबंधन' के मामले में यूपी सरकार और हाथरस के जिला प्रशासन ने देश की सभी हुकूमतों के रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। बावजूद इसके कि पूरे देश में हाथरस पुलिस की थू-थू हो रही है, वह अपनी आँखें मूँद कर तथ्यों को बरगलाने और समूचे घटनाक्रम को तोड़ने-मरोड़ने की कोशिश में जुटी हुई है।
तथ्यों को क्यों छिपाया गया?
दरअसल, हाथरस की पूरी घटना ही तथ्यों को छिपाने के साथ शुरू हुई है और क्रमशः आगे बढ़ी है। उत्तर प्रदेश किसान कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ. अनिल चौधरी (जो स्वयं हाथरस के हैं) का कहना है कि यदि शासन और प्रशासन ने मामले को दबाने के लिए इस तरह की कारगुज़ारियां न की होतीं और ईमानदारी से पूरे मामले को हैंडल किया होता तो प्रदेश की जनता में ऐसा रोष न उठता।
'रंजिशन मारपीट' की एफ़आईआर
वस्तुतः 14 सितम्बर को दलित युवती के साथ हुई घटना के बाद पूरे मामले की एफ़आईआर को थाना चंदपा में 'रंजिशन मारपीट' के रूप में दर्ज़ किया गया था। लापरवाही की इस कोशिश के बाद जब परिवार के लोगों और रिश्तेदारों ने शोर करना शुरू कर दिया तो पूरे मामले में हाथरस ज़िला कांग्रेस कूदी। कांग्रेस के ज़िला अध्यक्ष चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य बताते हैं कि कांग्रेस के धरना-प्रदर्शन और स्थानीय मीडिया में ख़बरें आने के बाद आठवें दिन मामले को इरादतन हत्या (आईपीसी की धारा 307) में परिवर्तित किया गया।
25 सितम्बर को अलीगढ़ अस्पताल (जहां पीड़िता भर्ती थी) के डॉक्टरों ने अलीगढ़ के मीडिया को बताया कि उन्होंने पुलिस से घायल को दिल्ली ले जाने के लिए कहा है लेकिन वे उसे नहीं ले जा रहे हैं। 26 सितम्बर को यह खबर कुछ अखबारों में छपी और कांग्रेस ने शोर किया तो 27 की सुबह उसे दिल्ली के सफदरजंग हॉस्पिटल के लिए भेजा गया जहाँ 29 सितंबर की सुबह उसकी मौत हो गयी।
हाथरस के गाँव मूलगढ़ी को पुलिस ने छावनी में तब्दील कर दिया है। शुरू में मीडिया को भी रोकने की कोशिशें हुईं लेकिन वे लोग धक्का-मुक्की करके घुसने में कामयाब रहे। लेकिन किसी भी राजनीतिक दल के कार्यकर्ता को गाँव के भीतर नहीं घुसने दिया जा रहा है।
हाथरस प्रशासन की मदद से पुलिस व्यापक स्तर पर दलित युवती के परिजनों और रिश्तेदारों को इस बात के लिए मनाने पर तुली है कि वे किसी भी राजनीतिक दल के कार्यकर्ताओं से मेल-मुलाक़ात न करें। एसआईटी की टीम मामले की जांच कर रही है। प्रियंका और राहुल गाँधी ने पीड़िता के गाँव जाने की कोशिश की तो उन्हें रास्ते ही वापस लौटा दिया गया ।
गाँव में घुसने की कोशिश में समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया है और हाथरस के कांग्रेस कार्यकर्ताओं को लाठी से पीटा गया है। दलित युवती के घर की आसपास की गलियों को चारों ओर से सील कर दिया गया है और मीडिया को 2 सौ मीटर दूर खदेड़ दिया गया है।
'ऑपरेशन दुराचारी' का नारा फुस्स?
हाथरस बलात्कार केस में दलित युवती के शव की राख अभी ठंडी भी नहीं हुई है कि यूपी के ही बलरामपुर में बलात्कार और क्रूर पिटाई के बाद एक और युवती की हत्या की घटना सामने आई है। इसी बीच प्रदेश के बुलंदशहर में बलात्कार की घटना हुई है। यह सब तब हो रहा है जब सप्ताह भर पहले ही मुख्यमंत्री ने महिलाओं पर होने वाले दुराचारों को रोकने के लिए 'ऑपरेशन दुराचारी' का नारा लगाकर ताल ठोंकी थी।
बलरामपुर में 22 साल की दलित युवती के साथ हुई घटना भी हाथरस से कम वीभत्स और क्रूर नहीं है। युवती को इंजेक्शन से बेहोश करके बलात्कार करने के बाद उसके दोनों पैर तोड़ कर उसे रिक्शे में बैठाकर घर भेज दिया। घरवाले उसे अस्पताल लेकर पहुँचते, इससे पहले ही उसने दम तोड़ दिया। इसी प्रकार बुलंदशहर के कंकड़ थाना क्षेत्र के अंतर्गत एक नाबालिग लड़की के साथ गाँव के दबंग द्वारा बलात्कार की ख़बर सामने आई है।
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