उत्तर प्रदेश में मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया। निश्चित रूप से पूर्वांचल एक्सप्रेसवे उत्तर प्रदेश की जनता के लिए बड़ा तोहफा है लेकिन विधानसभा चुनाव से पहले जिस अंदाज में इसका उद्घाटन किया गया है, वह बताता है कि बीजेपी इसका सियासी इस्तेमाल करना चाहती है। इसके उलट, समाजवादी पार्टी का कहना है कि यह तो उसके द्वारा किया गया काम है और बीजेपी सिर्फ़ उसके किए काम का रिबन काट रही है। सपा के उत्साही कार्यकर्ताओं ने पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर पहुंचकर इसका अलग से उद्घाटन भी कर दिया।
ख़ैर, बात इस पर भी ज़रूर होनी चाहिए कि पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के उद्घाटन में सरकारी बसों के जरिये लाखों लोगों को बुलाया गया और इसमें अच्छा-खासा सरकारी धन खर्च हुआ।
विज्ञापनों से भर गए टीवी-अख़बार
उत्तर प्रदेश के हिंदी और अंग्रेजी के लगभग सभी अख़बारों, वेबसाइट्स, टीवी चैनलों में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के उद्घाटन को लेकर लंबे-चौड़े विज्ञापन दिए गए हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय, सभी मंत्रियों के सोशल मीडिया अकाउंट्स और पूरा सरकारी महकमा पूर्वांचलएक्सप्रेसवे के उद्घाटन कार्यक्रम को सफल बनाने में जुटा रहा।
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लड़ाकू विमानों का एयर शो
इस मौक़े पर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे पर एयर शो भी किया गया। एक्सप्रेसवे पर जगुआर, सुखोई और मिराज 2000 जैसे लड़ाकू विमानों को उतारा गया। बताया गया है कि आपातकाल की स्थिति में इस एक्सप्रेसवे को रनपैड की तरह इस्तेमाल किया जा सकेगा।
बीजेपी समर्थकों ने लड़ाकू विमानों के एयर शो को राष्ट्रवाद की चाशनी में लपेटकर पेश किया और यह दिखाने की कोशिश की कि मोदी की सरकार में देश सुरक्षित है।
मारे-मारे भटके लोग
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे के उद्घाटन के कारण उत्तर प्रदेश के दूसरे जिलों के आम लोगों को जबरदस्त दुश्वारियों का सामना करना पड़ा। क्योंकि अयोध्या क्षेत्र की 125 बसों को सुल्तानपुर में हुए इस कार्यक्रम में लोगों को लाने-ले जाने में लगाया गया था। इस वजह से अयोध्या जिले में लोग घंटों तक बस अड्डों पर बस का इंतजार करते रहे और मजबूरी में ट्रक व दूसरी गाड़ियों से किसी तरह अपने गंतव्य के लिए निकले।
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7 करोड़ का ख़र्च!
इसके अलावा महोबा में 19 नवंबर को होने वाली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के लिए महोबा के जिला प्रशासन ने 1600 बसों का इंतजाम किया है। डीएम ने परिवहन विभाग से बसें मांगी हैं और इसमें आने वाला ख़र्च सिंचाई विभाग देगा। 1600 बसों के जरिये आसपास के जिलों से लोगों को ढोकर रैली में लाया जाएगा। इस काम में लगभग 7 करोड़ रुपये का ख़र्च बताया गया है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बीते शनिवार को आज़मगढ़ में राज्य विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया था। शिलान्यास कार्यक्रम में भीड़ जुटाने के लिए पीडब्ल्यूडी ने 40 लाख रुपये का भुगतान किया था।
वाड्रा ने मारा ताना
कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने इसे लेकर बीजेपी पर ताना मारा है। प्रियंका ने कहा, “लॉकडाउन के दौरान जब दिल्ली से लाखों श्रमिक बहन-भाई पैदल चलकर उत्तर प्रदेश में अपने गांवों की तरफ लौट रहे थे, उस समय बीजेपी की सरकार ने श्रमिकों को बसें उपलब्ध नहीं कराई थीं। लेकिन, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की रैलियों में भीड़ लाने के लिए सरकार जनता की गाढ़ी कमाई के करोड़ों रुपये खर्च कर रही है।”
कोविड की मार के कारण अर्थव्यवस्था को करारा झटका लग चुका है। बावजूद इसके सरकारी कार्यक्रमों में इतना फिजूल का ख़र्च करने की क्या ज़रूरत है। क्या सिर्फ़ इसी तरह पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया जा सकता था। लेकिन मंशा इसके जरिये वोटों की फसल काटने की है।
पूर्वांचल पर क्यों है जोर?
किसान आंदोलन के कारण बीजेपी को इस बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जबरदस्त सियासी नुक़सान का डर सता रहा है। ऐसे में पार्टी ने पूरा जोर पूर्वांचल में झोंक दिया है। पूर्वांचल में में उसे पिछले विधानसभा चुनाव में भी अच्छी सफलता मिली थी लेकिन इस बार वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में संभावित नुक़सान को भी यहां से पूरा करना चाहती है।
यहां उसे समाजवादी पार्टी से भी जोरदार चुनौती मिल रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पूर्वांचल से आते हैं और बीजेपी का केंद्रीय व राज्य नेतृत्व जानता है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बह रही विपरीत हवा के बीच पूर्वांचल ही उसे सहारा दे सकता है।
पूर्वांचल के 28 जिलों में 164 सीट हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को 115 सीटों पर जीत मिली थी जबकि सपा 17 सीटों पर सिमट गई थी। हालांकि तब ओम प्रकाश राजभर उसके साथ थे, जो इस बार सपा के साथ हैं, इस वजह से भी बीजेपी परेशान है और पूर्वांचल में पूरा जोर लगा रही है।
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