नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ अलीगढ़ के मुसलिम विश्वविद्यालय (एएमयू) में हुए प्रदर्शन को लेकर पुलिस ने 10 हज़ार अज्ञात छात्रों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की है। एएमयू में 15 दिसंबर को इस क़ानून के विरोध में छात्रों ने जोरदार प्रदर्शन किया था। इस क़ानून के विरोध में हुए प्रदर्शनों से सबसे ज़्यादा उत्तर प्रदेश ही प्रभावित रहा है। प्रदर्शनों में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ पुलिस अंधाधुंध एफ़आईआर दर्ज कर रही है।
इससे पहले भी पुलिस ने कानपुर में 20 हज़ार लोगों पर एफ़आईआर दर्ज की थी। कानपुर में हुई हिंसा में अलग-अलग थानों में कुल 15 रिपोर्ट दर्ज हुई हैं। उपद्रवियों पर बलवा, लूट, हत्या का प्रयास, 7 लॉ क्रिमिनल एमेंडमेंट एक्ट समेत अन्य संगीन धाराएं लगायी गयी हैं। कानपुर के कई हिस्सों में बीते शनिवार को हिंसा भड़की थी और उपद्रवियों ने यतीमखाना पुलिस चौकी में आग लगा दी थी।
पुलिस पर ज़्यादती का आरोप
उत्तर प्रदेश में हुए उग्र प्रदर्शनों को रोक पाने में नाकाम रही पुलिस पर कार्रवाई के नाम पर ज़्यादती करने का आरोप लग रहा है। पुलिस ने बिजनौर, मुज़फ्फ़रनगर सहित कई इलाक़ों में घरों में घुसकर लोगों के साथ मारपीट की है। 13 दिसंबर को शुक्रवार वाले दिन लखनऊ, संभल सहित कई इलाक़ों में हुई हिंसा के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सार्वजनिक संपत्ति को हुए नुक़सान की भरपाई उपद्रवियों से करने और ‘बदला’ लेने की बात कही थी। पुलिस के आला अधिकारियों का खुलेआम कहना है कि उन्हें सख्ती करने के निर्देश दिये गए हैं।
मुज़फ्फरनगर में एक बुजुर्ग तो लखनऊ में कई उम्रदराज लोगों की पिटाई के वीडियो सोशल मीडिया पर ख़ूब वायरल हो रहे हैं और पुलिस की ज्यादती की कहानी कह रहे हैं। पुलिस सरकारी संपत्ति को नुक़सान पहुंचाने वालों की मकान-दुकान जब्त कर वसूली के नोटिस वायरल कर रही है। बनारस, गोरखपुर, लखनऊ, मेरठ सहित कई शहरों में प्रदर्शनों में शामिल लोगों की तसवीरें इश्तेहार के तौर पर जारी कर पुलिस उन्हें गुंडा व बलवाई करार दे रही है।
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