उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एक ट्वीट पर विवाद हो गया है। योगी ने बुधवार को ट्वीट कर कहा कि वह प्रदेश के युवाओं से अपील करते हैं कि वे किसी के बहकावे में नहीं आएं। आगे उन्होंने लिखा कि आज कोई ग़लत काम नहीं कर सकता है, जिसे अपनी प्रॉपर्टी जब्त करवानी हो, वह ग़लत काम करे।
योगी के इस बयान पर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा से लेकर आज़ाद समाज पार्टी के प्रमुख चंद्रशेखर रावण और कई पत्रकारों ने उन्हें जवाब दिया है।
इस देश में अपनी आवाज उठाना, प्रदर्शन करना और अपनी माँगो के लिए आंदोलन करना एक संवैधानिक अधिकार है। जायज माँगों के लिए आवाज उठाने वालों को डराने और धमकाने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करना एक घोर अपराध है।
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) July 22, 2021
जिस “प्रॉपर्टी” पर योगी जी बैठे हैं, वह उनकी नहीं…देश की जनता की है। 1/2 pic.twitter.com/3VgB4IUSdS
युवक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीनिवास बीवी ने ट्वीट कर कहा, “ये एक मुख्यमंत्री की भाषा है या किसी सड़कछाप लफंगे की?”
आज़ाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आज़ाद ने योगी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “दलितों-पिछड़ों-आदिवासियों को संविधान से मिले हक और अधिकार की रक्षा के लिए आंदोलन जारी रहेगा। इसके लिए अगर चन्द्रशेखर की संपत्ति ज़ब्त होती है तो कोई परवाह नहीं।”
इसी तरह कुछ पत्रकारों ने भी योगी के बयान पर उन्हें जवाब दिया।
डराने की कोशिश?
इस मामले में विपक्षी नेताओं के बयानों को ही आगे बढ़ाएं तो समझ आता है कि मुख्यमंत्री उन लोगों को डराने की कोशिश कर रहे हैं जो उनकी सरकार के फ़ैसलों के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाते हैं। जबकि सरकार के किसी भी फ़ैसले से असहमति रखना, सड़कों पर उतरकर उसका शांतिपूर्ण विरोध करने का हक़ भारत के हर शख़्स को संविधान से मिला हुआ है।
प्रॉपर्टी जब़्त करने की बात करने का क्या तुक है। जब कोई शख़्स गै़र-क़ानूनी काम करेगा तो उसे रोकने के लिए पुलिस और सजा तय करने के लिए न्यायपालिका है।
ये कहा जाता है कि योगी आदित्यनाथ अपनी सख़्त छवि को बनाए रखने के लिए जानबूझकर इस तरह के बयान देते हैं। हाल ही में उत्तर प्रदेश में हुए जिला पंचायत व ब्लॉक प्रमुख के चुनाव में जो मंजर दिखाई दिया, उससे पता चलता है कि उत्तर प्रदेश में क़ानून का राज कम और डंडे का ज़्यादा है।
मोदी ने की तारीफ़
उत्तर प्रदेश में कोरोना की दूसरी लहर में मचे कोहराम के बाद योगी आदित्यनाथ की मीडिया से लेकर विपक्षी राजनीतिक दलों ने ख़ूब आलोचना की लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिन पहले वाराणसी में उनकी तारीफ़ों के ऐसे पुल बांधे कि बाक़ी लोग तो क्या ख़ुद योगी आदित्यनाथ भी अवाक रह गए थे।
इसके बाद यह माना गया कि पार्टी हाईकमान योगी आदित्यनाथ के साथ है और 2022 के उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में उनके चेहरे को सामने रखकर वह चुनाव लड़ेगा। जबकि एक महीने पहले उन्हें बदले जाने की चर्चाएं दिल्ली से लेकर लखनऊ तक के सियासी गलियारों में थीं।
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