कोरोना महामारी के इस दौर में जालसाजी के नए-नए मामले सामने आ रहे हैं। यूपी में बीते छह महीनों में साइबर अपराधों में जमकर आए उछाल के बाद अब जालसाजों ने बनारस में प्रधानमंत्री के दफ्तर की ही बोली लगा दी।
बनारस में पीएम के कार्यालय की बिक्री का विज्ञापन गुरुवार को बाकायदा फोटो सहित ऑनलाइन खरीद-फरोख्त की वेबसाइट ओएलएक्स पर डाल दिया गया। इसका पता चलते ही हड़कंप मच गया। आनन-फानन में पुलिस ने इस मामले में चार लोगों को हिरासत में ले लिया है। पुलिस पूरे मामले की छानबीन कर रही है और षड्यंत्र का पता लगा रही है।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि ये भी पता लगाया जा रहा है कि ऐसा महज सनसनी पैदा करने के लिए किया गया या मजाक में या फिर इसके पीछे कोई गहरी साजिश है। प्रधानमंत्री मोदी का संसदीय कार्यालय बनारस के पॉश भेलूपुरा इलाके में है, जहां आधा दर्जन लोग काम करते हैं और हर रोज सैकड़ों लोगों का आना-जाना होता है।
7.50 करोड़ कीमत मांगी
भेलूपुरा थानाक्षेत्र की जवाहर नगर कालोनी में स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) की फोटो खींचकर ओएलएक्स पर डाल दी गई और इसकी कीमत 7.50 करोड़ रुपये मांगी गयी है। हालांकि बनारस के जिस इलाके में यह कार्यालय है और जितना इसका आकार है, उस हिसाब से कीमत खासी ज्यादा मांगी गयी पर प्रधानमंत्री के नाम के चलते इसकी वैल्यू ज्यादा लगायी गयी। प्रधानमंत्री का यह दफ्तर 6500 वर्गफीट में है और इसमें चार बड़े कमरे हैं। ओएलएक्स पर विज्ञापन डालने वाले की शिनाख्त लक्ष्मीकांत ओझा के रूप में की गयी है।
हिरासत में लिए चार लोग
जिन लोगों ने विज्ञापन डाला था, उन्हें यह भारी पड़ गया है। वाराणसी पुलिस ने मामले में चार लोगों को हिरासत में लिया है और उनसे पूछताछ कर रही है। इस बारे में जानकारी देते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक (एसएसपी) अमित पाठक ने बताया कि वाराणसी में ओएलएक्स पर लक्ष्मीकांत ओझा के नाम से पीएमओ के दफ़्तर को बेचने के लिए विज्ञापन दिया गया था।
इस बात की जानकारी मिलते ही तत्काल वाराणसी पुलिस एक्शन में आयी और उसने 4 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। एसएसपी ने बताया कि इस काम में लिप्त वह व्यक्ति जिसने कार्यालय की फोटो खींची थी, उसे भी गिरफ्तार कर लिया गया है और पूछताछ की जा रही है। इस मामले में सख़्त कार्रवाई की जाएगी।
इस बात की जानकारी लोगों को गुरुवार को हुई। ओएलएक्स पर विज्ञापन डालते ही हड़कंप मच गया और लोगों ने पीएमओ दफ्तर में फोन कर इस बारे में बताना शुरू कर दिया। प्रधानमंत्री के बनारस कार्यालय के अधीक्षक शिवशरण पाठक ने कहा कि विज्ञापन पूरी तरह फर्जी है। विज्ञापन में जो पता दिया गया है, वह भी गलत है। किसी ने जानबूझकर ऐसी हरकत की है।
उन्होंने बताया कि मामले की जानकारी पार्टी के आला पदाधिकारियों के साथ ही पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को भी दी गई है। कार्यालय में काम करने वालों ने कहा कि पुलिस को पता लगाना चाहिए कि आखिर किसने और कैसे यहां आकर तसवीर खींची और उसे खरीद-बिक्री की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया। प्रधानमंत्री कार्यालय को संवेदनशील मानते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस की यहां पर खासी सुरक्षा लगाई गयी है और सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं।
अपनी राय बतायें