9 नवंबर को प्रिंस यादव आराधना को अपनी बाइक पर बैठा कर एक मंदिर में ले गया। जब वे लोग मंदिर पर पहुंचे तो प्रिंस यादव ने सर्वेश यादव की मदद से आराधना को एक गन्ने के खेत में ले जाकर गला दबाकर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद उन दोनों ने उसके शव के 6 टुकड़े किए और उन्हें पॉलिथीन बैग में भरकर एक कुएं में फेंक दिया। लेकिन हत्या को अंजाम क्यों दिया गया?
उत्तर प्रदेश सरकार ने मस्जिद के लिए जिस जमीन को आवंटित किया, उसे लेकर किस तरह की आपत्तियां सामने आ रही हैं। मस्जिद का निर्माण करने वाले ट्रस्ट का कहना है कि इन आपत्तियों को खत्म करने की जिम्मेदारी सरकार की है लेकिन इसमें देर क्यों हो रही है?
रामपुर विधानसभा सीट से आज़म खान 10 बार विधायक रह चुके हैं। इस सीट पर सपा की जीत का पूरा दारोमदार सिर्फ आज़म खान पर ही है। बीजेपी की जीत के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी सहित कई बड़े नेता जोर लगा रहे हैं।
रामपुर और आजमगढ़ के बाद बीजेपी की कोशिश मैनपुरी लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव में भी जीत हासिल करने की है। यह तय है कि इस उपचुनाव में बसपा को मिलने वाला वोट जिसके खाते में जाएगा, उसकी जीत की संभावना मजबूत हो जाएगी। बसपा का वोट किसे मिलेगा?
मैनपुरी में बीजेपी प्रत्याशी रघुराज सिंह शाक्य ने नामांकन तो भर दिया है लेकिन शिवपाल यादव का रुख स्पष्ट हो जाने के बाद यह चुनाव डिंपल के लिए आसान हो गया। सैफई में बुधवार को बैठक में शिवपाल समर्थकों ने बहू डिंपल का प्रचार करने का फैसला किया है।
मैनपुरी उपचुनाव ने शिवपाल यादव को दुविधा में डाल दिया है। वो तय नहीं कर पा रहे हैं कि घर की बहू का विरोध करें या फिर बीजेपी प्रत्याशी का समर्थन करें। बीजेपी प्रत्याशी रघुराज सिंह शाक्य ने शिवपाल को अपना गुरु बताया है। बहरहाल, मैनपुरी उपचुनाव दिलचस्प होता जा रहा है। पढ़िए पूरी रिपोर्टः
रामपुर और आजमगढ़ में लोकसभा का उपचुनाव हारने के बाद अब अखिलेश यादव के सामने अपनी निजी प्रतिष्ठा और अपने पिता मुलायम सिंह यादव की राजनीतिक विरासत को बचाने की बड़ी चुनौती है। लेकिन क्या वह अपने चाचा शिवपाल यादव को अपने साथ ला पाएंगे?
समाजवादी पार्टी ने यहां से पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी व पूर्व सांसद डिंपल यादव को चुनाव मैदान में उतारा है। मैनपुरी के अलावा रामपुर और खतौली विधानसभा सीट पर उपचुनाव होना है।
सभी की नजरें इस बात पर लगी हैं कि बीजेपी यहां किस नेता को उम्मीदवार बनाएगी। कहा जा रहा है कि बीजेपी यहां से गैर यादव उम्मीदवार को उतारना चाहती है। इसमें भी वह शाक्य बिरादरी के किसी नेता पर दांव लगाना चाहती है।
आजम खान को हेट स्पीच मामले में सुनाई गई सजा पर फिलहाल स्टे नहीं मिला है। यानी इस तरह अब 5 दिसंबर को इस सीट पर उपचुनाव होगा। चुनाव आयोग अब इस सीट पर आज गुरुवार को देर रात अधिसूचना जारी कर सकता है।
डिंपल यादव को 2009 के लोकसभा चुनाव में फिरोजाबाद सीट पर कांग्रेस के नेता राज बब्बर से हार मिली थी। डिंपल कन्नौज से 2012 में लोकसभा के लिए निर्विरोध चुनी गई थीं। 2014 में वह कन्नौज से लोकसभा का चुनाव जीती थीं। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में वह बीजेपी के सुब्रत पाठक से हार गई थीं। क्या वह मैनपुरी में जीत पाएंगी?
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में जीत के बाद बीजेपी विधान परिषद और आजमगढ़, रामपुर और गोला गोकर्णनाथ में भी चुनाव जीत चुकी है। क्या आगामी उपचुनावों में सपा और आरएलडी उसे रोक पाएंगे?