सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बीएसपी नेता मायावती को मूर्तियों के निर्माण पर किया गया सारा ख़र्च लौटाना पड़ सकता है। कोर्ट इस मामले में 2 अप्रैल को अगली सुनवाई करेगा।
क्या फ़िल्म ‘उरी’ और ‘द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ बीजेपी को यूपी में वोट दिलाएँगी? क्या वह ये दोनों फ़िल्में दिखाकर गठबंधन से पार पाने की तैयारी में हैं?
विश्वविद्यालयों में 13 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम को लेकर बढ़ते विरोध से बीजेपी के लिए लोकसभा 2019 की राह मुश्किल हो सकती है। यह मुश्किल खड़ी करेंगी एसपी, आरजेडी और बीएसपी।
कांग्रेस में पदाधिकारियों की तादाद इतनी बढ़ गई है कि पार्टी मुख्यालय 24 अकबर रोड पर नेताओं के बैठने के लिए जगह कम पड़ गई है। इससे पार्टी के काम पर भी असर पड़ता है।
योगी सरकार एक ओर तो मुज़फ़्फ़रनगर दंगों से जुड़े मामलों को वापस ले रही है, वहीं दूसरी ओर 34 साल पुराने सिख विरोधी दंगों की जाँच के लिए एसआईटी का गठन कर रही है।
केंद्र सरकार में महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती को लेकर उत्तर प्रदेश आईएएस असोसिएशन ने गंभीर सवाल उठाए हैं। यूपी कैडर के आईएएस अफ़सरों ने मोदी सरकार की नीति को अपारदर्शी बताते हुए इसमें सुधार की अपेक्षा की है।
यह सवाल पूछा जाता रहा था कि जब सारे राजनेता ट्विटर का इस्तेमाल अपनी बात पहुँचाने के लिए करते हैं तो मायावती इससे दूर क्यों हैं? जानिए क्यों उन्हें ट्विटर पर आना ही पड़ा।
दो हफ़्ते पहले ही कांग्रेस महासचिव बनाई गईं प्रियंका गाँधी वाड्रा को कांग्रेस मुख्यालय 24, अकबर रोड में पार्टी अध्यक्ष राहुल गाँधी के बगल वाला कमरा दिया गया है।
कांग्रेस महासचिव और पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाए जाने के बाद प्रियंका गाँधी की राहुल के साथ राजधानी लखनऊ में रैली की तारीख़ का अब तक कोई पता नहीं चल पा रहा है।
अर्नब गोस्वामी ने 28 साल पहले खारिज किए जा चुके झूठ को नए सिरे से पुनर्जीवित करके रिपब्लिक भारत चैनल को जमाने का प्रयास किया है और ऐसा करना बेहद शर्मनाक है।
क्या स्वतंत्र पत्रकारिता के नाम पर किसी चैनल या पत्रकार को झूठी ख़बर चलाने या लिखने का हक़ होना चाहिए? रिपब्लिक भारत ने वह ख़बर चलाई है जो 28 साल पहले झूठी साबित हो चुकी है।
कुंभ मेला क्षेत्र में हुई उत्तर प्रदेश की कैबिनेट बैठक से ऐसा लगा कि विकास से ज्यादा हिंदुत्व की राजनीति को मज़बूत करना सीएम योगी आदित्यनाथ का मुख्य उद्देश्य था।
प्रयागराज में धर्म संसद के दूसरे दिन शुक्रवार को जमकर हंगामा हुआ। मोहन भागवत का भाषण ख़त्म होते ही मंच के नीचे मौजूद साधु-संतों ने राम मंदिर की तारीख़ बताने की माँग को लेकर जमकर नारेबाज़ी की।