भले ही आज़म ने बयान परोक्ष रूप से जया प्रदा को लेकर दिया हो लेकिन इस सियासी लड़ाई के मुख्य किरदार किसी ज़माने में मुलायम सिंह के बेहद क़रीबी रहे और पूर्व सपा नेता अमर सिंह हैं।
सपा नेता आज़म ख़ान के एक बयान से ख़ासा विवाद हो गया है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की मौजूदगी में आज़म ने जया प्रदा का नाम लिए बिना उन पर टिप्पणी की है।
संतकबीर नगर जिले में मेंहदावल विधानसभा क्षेत्र में बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. महेन्द्र नाथ पाडेय के आने से पहले ही बीजेपी कार्यकर्ताओं ने जमकर बवाल किया।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश का रण निपटने के बाद अब बाक़ी उत्तर प्रदेश में मज़बूत कंधे तलाश रही कांग्रेस की तैयारी बड़ी ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ की है। कुछ बड़े पिछड़े नेताओं को पार्टी में शामिल कराने की योजना है।
मेनका गाँधी ने उनके पक्ष में वोट नहीं डालने पर इशारों में ही मुसलमानों को धमका दिया। उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में मेनका ने एक सभा में कहा कि मुसलमान उन्हें वोट दें, नहीं तो उनकी समस्याओं पर वह ध्यान नहीं देंगी।
अमेठी के लिए नामांकन भरने के साथ ही राहुल गाँधी ने रफ़ाल को लेकर प्रधानमंत्री पर निशाना साधा। राहुल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने आज यह साफ़ कर दिया है कि चौकीदार चोर है।
मेरठ में बीजेपी की टोपी नहीं पहनने पर मुसलिम छात्रा को पहले तो कक्षा के ही छात्रों ने प्रताड़ित किया और जब उसने शिकायत की तो उसे कॉलेज से भी निष्कासित कर दिया गया।
बीजेपी के संकल्प पत्र में राम मंदिर निर्माण के लिए संभावनाएँ तलाश कर सौहार्दपूर्ण माहौल में मंदिर निर्माण करवाने के ज़िक्र पर राम जन्म भूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा कि बीजेपी के लिए यह आख़िरी मौक़ा है।
गठबंधन ने अब ख़ुद को सफलतापूर्वक बीजेपी के मुक़ाबले में आमने-सामने खड़ा कर लिया है और कांग्रेस उन मतदाताओं में औचित्यहीन हो गई है जो बीजेपी के ख़िलाफ़ मत देना चाहते हैं।
गठबंधन ने सहारनपुर के देवबंद में पहली साझा रैली कर अपनी ताक़त दिखाई। महागठबंधन की पहली ही रैली भीड़ के लिहाज से विरोधियों को परेशान करने के लिए काफ़ी थी।
क्या इस लोकसभा चुनाव में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों का बकाया भुगतान और आवारा पशुओं की समस्या के मुद्दे चुनाव को प्रभावित करेंगे? इस सवाल का जवाब इससे मिलेगा कि गन्ना किसान नाराज़ हैं या ख़ुश।
2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को पश्चिमी यूपी में काफ़ी वोट मिले थे। क्या इस बार भी इस इलाक़े में मोदी को बड़ी संख्या में वोट मिलेंगे या फिर महागठबंधन आगे रहेगा?