चुनाव जैसे जैसे नज़दीक आता जा रहा है, उत्तर प्रदेश में तमाम पार्टियों में बग़ावत, असंतोष बढ़ता जा रहा है, पार्टियां उम्मीदवारों को ताश के पत्तों की तरह फेंट रही हैं।
प्रियंका अयोध्या के रोड शो में बीजेपी को उसी के हिंंदुत्व कार्ड से हमला बोलने की तैयारी में थीं पर कुछ संतों ने उनके मंदिरों के दर्शन पर सवाल खड़ा कर दिया।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी ने यह साफ़ कर दिया है कि वह वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने को तैयार हैं। यदि ऐसा हुआ तो दोनों ही पार्टियों के चुनाव प्रचार पर क्या असर पड़ेगा?
पश्चिम उत्तर प्रदेश में आश्चर्यजनक रूप से हर बार मुसलिम राजनीति के केंद्र में रहने वाले इन इलाक़ों में रहस्यमय चुप्पी का नज़ारा है। शायद यह पहली बार है कि ज़्यादातर दलों से सबसे कम मुसलिम प्रत्याशी इस चुनाव में उतरे हैं।
लोकसभा चुनाव के पहले चरण में पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 8 सीटों पर 11 अप्रैल को वोट डाले जाएँगे।राजनीतिक दृष्टि से पश्चिमी उत्तर प्रदेश बेहद महत्वपूर्ण इलाक़ा है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश के प्रभारी महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा को डर है कि इस बार अमेठी में उनकी ग़ैर-मौजूदगी से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी की मुश्किलें बढ़ सकती है।
उत्तर प्रदेश के राजनीतिक हालात देखकर ऐसा लगता है कि प्रदेश में बना गठबंधन और कांग्रेस, दोनों एक-दूसरे का नुक़सान करने और बीजेपी को फायदा पहुँचाने में लगे हैं।
राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का दोबारा चुना जाना देश और समाज के लिए ज़रूरी है। इस पर कांग्रेस ने आपत्ति दर्ज कराते हुए उनका इस्तीफ़ा माँगा है।
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गाँधी का 'रोड शो' अब धार्मिक नगरी अयोध्या में 27 मार्च को होगा। कांग्रेस रोड शो को ऐतिहासिक बनाने के लिए पूरी तैयारी में जुट गई है। प्रियंका हिंंदुत्व कार्ड पर बीजेपी के गढ़ में उसी पर वार करेंगी।
उत्तर प्रदेश और बिहार में जातीय राजनीति का ढाँचा बदल रहा है। जातीय समूहों की राजनीतिक महत्त्वाकांक्षा बढ़ी है। जातीय समूहों की इस बेचैनी का असर क्या आने वाले चुनाव परिणाम पर भी पड़ेगा?
बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह ने सपना चौधरी की तुलना यूपीए चेयरपर्सन सोनिया गाँधी से करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी को उन्हें अपना बना लेने की नसीहत तक दे डाली।
समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए 40 स्टार प्रचारकों के नामों की लिस्ट जारी की है लेकिन हैरानी की बात है कि सूची में पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव का ही नाम नहीं है।
कांग्रेस अध्यक्ष ने सही समय पर हस्तक्षेप कर बीजेपी के सर्जिकल स्ट्राइक से पार्टी को बचा लिया और जितिन प्रसाद ने पार्टी नहीं छोड़ी, पर जितिन अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर दुविधा में हैं।