पूर्वी उत्तर प्रदेश में वाराणसी सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत निश्चित मानी जा रही है, लेकिन वाराणसी के आसपास के क्षेत्रों में माहौल ऐसा नहीं है। कितना असर होगा सपा-बसपा गठबंधन का?
लोकसभा चुनाव के पाँच चरणों के मतदान हो जाने के बाद नतीजों को लेकर तसवीर काफ़ी हद तक साफ़ हो गई लगती है। उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विजय रथ अटकता दिख रहा है।
आख़िरी दो चरणों में उत्तर प्रदेश के जिन क्षेत्रों में चुनाव होने जा रहे हैं वे औद्योगिक रूप से पिछड़े हुए हैं। गोरखपुर में अब हथकरघा, खादी, शहद उत्पादन, चमड़े का कारोबार कहीं नज़र नहीं आता है। क्या ये चुनावी मुद्दे बनेंगे?
बीएसपी प्रमुख मायावती ने अमेठी और रायबरेली में मतदान के एक दिन पहले राहुल और सोनिया गाँधी को वोट देने की अपील करके बीजेपी को तगड़ा झटका दिया है। तो क्या अब राहुल की जीत पक्की हो गई है?
अपने डेढ़ दशक के लंबे राजनैतिक जीवन में पहली बार कड़े मुक़ाबले में फँसे राहुल गाँधी ने अमेठी का क़िला फ़तह करने के लिए पहली बार 100 से ज़्यादा बाहरी नौजवानों की फ़ौज उतार दी है।
यदि कांग्रेस ने अपने प्रत्याशी अजय राय को सपा-बसपा प्रत्याशी के पक्ष में बैठा दिया तो यह लड़ाई बहुत ही रोचक तथा प्रधानमंत्री मोदी बनाम तेज़ बहादुर हो जायेगी।
उत्तर प्रदेश की हाई-प्रोफ़ाइल सीटों में से एक लखनऊ का हाल भी कुछ-कुछ बनारस जैसा हो गया है। तमाम दावों के बाद भी राजधानी लखनऊ से राजनाथ सिंह के मुक़ाबले कोई नामचीन हस्ती क्यों नहीं उतरी?
बताया जा रहा है कि प्रियंका गाधी इस बात से डरी हुई हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी इस बार अमेठी में बुरी तरह फँसे हुए हैं और चुनाव हार भी सकते हैं।
यूपी में पहले तीन चरणों में बीजेपी को बड़ा सियासी नुक़सान होने की आशंका है। इसीलिए चौथे चरण से पहले पीएम मोदी ने ख़ुद मोर्चा संभालते हुए वाराणसी में हिंदू कार्ड खेला।
पिछले चुनाव में बीजेपी को अति पिछड़ों और अति दलितों का ज़बरदस्त समर्थन मिला था। लेकिन इस बार हालात अलग हैं और ऐसा लगता है कि बीजेपी की राह यूपी में आसान नहीं है।