नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ विरोध-प्रदर्शन के दौरान हिंसा को लेकर मुज़फ़्फ़रनगर में गिरफ़्तार किए गए लोगों में से चार को दस दिन तक हिरासत में रखने के बाद छोड़ दिया गया है। जब उनके ख़िलाफ़ सबूत नहीं थे तो किस आधार पर गिरफ़्तार कर लिया गया था?
नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शनों के बाद उत्तर प्रदेश पुलिस पर कार्रवाई के नाम पर बर्बरता करने, मुसलिम समुदाय के घरों में घुसकर उन्हें बेरहमी से पीटने के आरोप लगे हैं।
नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में मेरठ, मुज़फ़्फरनगर में हुए विरोध-प्रदर्शनों के बाद पुलिसिया बर्बरता व जुल्म की तसवीरें और कहानियां सामने आ रही हैं।
पीलीभीत की बरखेड़ा विधानसभा सीट से विधायक किशन लाल राजपूत के ख़िलाफ़ कांस्टेबल को पुलिस थाने में जूतों से पीटने, पेशाब पीने के लिए मजबूर करने के आरोप में मुक़दमा दर्ज किया गया है।
बीते कई दिनों से प्रदेश के लगभर हर जिले में पीएफ़आई से जुड़े लोगों की धरपकड़ जारी है। बताया जा रहा है कि इस संगठन से जुड़े होने के आरोप में सैकड़ों लोगों को जेल भेज दिया गया है।
नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में उत्तर प्रदेश में हुए प्रदर्शनों के दौरान पुलिस को इनमें पॉपुलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया (पीएफ़आई) नाम के संगठन के शामिल होने के सबूत मिले हैं।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी वाड्रा ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर कहा कि प्रदेश सरकार, प्रशासन और पुलिस ने उत्तर प्रदेश में अराजकता फैलाने का काम किया है।
ऐसा क्या हो गया कि अयोध्या जैसे मुद्दे पर भी उत्तर प्रदेश में स्थिति सामान्य बनी रही लेकिन नागरिकता क़ानून पर प्रदर्शन हिंसात्मक हो गया? क्या बीजेपी चूक नहीं गई?
प्रियंका गाँधी के कार्यालय ने कहा है कि लखनऊ में एक सर्किल अफ़सर ने प्रियंका के सुरक्षाकर्मी को धमकी दी और उनके कार्यक्रमों को रोके जाने की चेतावनी दी।