नागरिकता संशोधन क़ानून के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश में हुए प्रदर्शनों के दौरान यूपी पुलिस पर बर्बरता करने के आरोप लगे तो न्यायपालिका की भूमिका भी सवालों के घेरे में है।
नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में देश में कई जगहों पर आवाज़ बुलंद कर रहे गोरखपुर के डॉक्टर कफ़ील ख़ान पर उत्तर प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून लगा दिया है।
क्या जीत का जश्न मनाना गुनाह है? यदि नहीं तो दिल्ली में आप विधायक अमानतु्ल्ला ख़ान की जीत की ख़ुशी मना रहे उनके रिश्तेदारों को पुलिस ने क्यों पीटा? क्यों लड़की को घसीटा गया, धक्का दिया गया और गालियाँ दी गईं?
क्या बिजनौर पुलिस बेकसूरों को फँसाने के लिए उन्हें झूठे मामलों में उलझाती है? क्या पुलिस बिना किसी सबूत के ही किसी को गिरफ़्तार कर जेल में डाल देती है और इसकी पूरी कोशिश करती है कि उसे अदालत से ज़मानत न मिले?
दिसंबर महीने में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वालों पर पुलिस द्वारा लगाए गए हत्या के प्रयास और हिंसा का केस जब कमज़ोर पड़ने लगा तो पुलिस ने अब उन पर नये मुक़दमे लगाने शुरू कर दिए हैं।