क्या बिजनौर पुलिस बेकसूरों को फँसाने के लिए उन्हें झूठे मामलों में उलझाती है? क्या पुलिस बिना किसी सबूत के ही किसी को गिरफ़्तार कर जेल में डाल देती है और इसकी पूरी कोशिश करती है कि उसे अदालत से ज़मानत न मिले?
दिसंबर महीने में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करने वालों पर पुलिस द्वारा लगाए गए हत्या के प्रयास और हिंसा का केस जब कमज़ोर पड़ने लगा तो पुलिस ने अब उन पर नये मुक़दमे लगाने शुरू कर दिए हैं।
इटावा में नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ प्रदर्शन कर रही महिलाओं को उत्तर प्रदेश पुलिस ने भगा-भगा कर पीटा। मोबाइल फ़ोन से लिए गए फ़ुटेज में दिख रहा है कि पुलिस उनपर डंडे बरसा रही है।