रिकवरी अध्यादेश के प्रावधान ऐसे हैं जो किसी भी लोकतांत्रिक कसौटी पर खरे नहीं उतरते। इसका एकमात्र मक़सद आम जनता में खौफ़ पैदा करना है और विरोध करने वालों की आवाज़ को दबाना है।
होर्डिंग मामले में योगी सरकार के वसूली अध्यादेश पर रविवार को इस पर राज्यपाल का हस्ताक्षर भी हो गया। संपत्ति नुक़सान पहुँचाने वाले को अब क्षतिपूर्ति देनी ही होगी। इसके लिए राज्य सरकार ने क्लेम ट्रिब्यूनल भी बना दिया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव मौर्य सहित कई बीजेपी नेताओं को दंगाई बताने वाले होर्डिंग लगाने पर कांग्रेस नेताओं को यूपी पुलिस ने रविवार तड़के गिरफ़्तार कर लिया। बाद में उन्हें जेल भेज दिया गया।
होर्डिंग विवाद मामले में उच्च न्यायालय व सुप्रीम कोर्ट से राहत न मिलते देख योगी सरकार अध्यादेश ले लाई है और उसने दुहराया है कि वह होर्डिंग्स को नहीं हटाएगी।
उन्नाव दुष्कर्म मामले में दोषी ठहराये गये बीजेपी के पूर्व विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दुष्कर्म पीड़िता के पिता की मौत के मामले में दस साल की सजा सुनाई गई है।
उत्तर प्रदेश सरकार वसूली होर्डिंग हटाने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फ़ैसले को मानने के बजाय सुप्रीम कोर्ट में इसे चुनौती देगी, यानी सरकार ने होर्डिंग हटाने से इनकार कर दिया है।
नागरिकता क़ानून विरोधी प्रदर्शन के दौरान सरकारी संपत्ति को हुए नुक़सान के मामले में होर्डिंग्स लगाने वाली योगी सरकार की फ़जीहत तो हुई ही, अब इसे अदालत में घसीटने की तैयारी की जा रही है।
होर्डिंग्स लगाने के मामले में हाई कोर्ट से योगी सरकार को झटका लगा है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोमवार को फ़ैसला सुनाया है कि इन होर्डिंग्स को हटा दिया जाए।
कोर्ट ने रविवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि यूपी सरकार का होर्डिंग लगाने का क़दम पूरी तरह अन्यायपूर्ण है। कोर्ट ने कहा कि यह लोगों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर अतिक्रमण है।
सीएए के ख़िलाफ़ जिस तरह लोगों की तसवीरें शहर में खुले में लगवा दी गई हैं, सवाल उठता है कि क्या उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार बदले की भावना से काम कर रही है?
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के व्यस्ततम चौराहे पर योगी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) विरोधी हिंसा में हुए सरकारी संपत्ति के नुक़सान की वसूली के लिए ज़िम्मेदार लोगों की तस्वीरों की होर्डिंग लगा दी है।